भारत पर अरबों का आक्रमण

भारत पर अरबों का आक्रमण

भारत पर अरबों का आक्रमण ; सिंध पर मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण इतिहास की रोमांचकारी घटना है। तो आइए मै आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देता हूँ-


• सर्वप्रथम अरबों ने 636 ई. में बम्बई के निकट थाना को जीतने के लिए खलीफा उमर के समय में असफल आक्रमण किया।

• 636 ई. के पश्चात् भड़ौंच, सिन्ध की देवल खाड़ी तथा मकरान पर आक्रमण होते रहे।

• 664 ई. में अल-मुहल्लव का असफल आक्रमण।

• इसके बाद अब्दुल्ला का असफल आक्रमण।

• आठवीं शताब्दी के प्रथम दशक में इब्न-अल-अरीहल विहट्री ने मकरान पर आक्रमण कर अस्थायी कब्जा कर लिया, इसके बाद सिन्ध की विजय का द्वार खुल गया।

• इराक के शासक हज्जाज ने सिन्ध के शासक दाहिर को दण्डित करने के लिए प्रथम दो सेनापति उबैदुल्लाह तथा बुदेल को भेजा। हज्जाज के इन दोनों सेनापतियों को क्रमशः दाहिर और उसके पुत्र जयसिंह ने परास्त करके मौत के घाट उतार दिया।

• इसके बाद अल-हज्जाज के दामाद एवं भतीजे मुहम्मद बिन कासिम का प्रयत्न सफल रहा।

• भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम मुस्लिम शासक मुहम्मद बिन कासिम था।

• मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर विजय 712 ई. में पाई।

• अरबों के सिंध विजय की जानकारी ‘चचनामा’ से प्राप्त होती है।

• सिंध पर आक्रमण का आदेश अरब के सूबेदार अल-हज्जाज ने दिया था।

• सिंध पर आक्रमण के समय वहाँ का शासक दाहिर था।

• दाहिर के पिता का नाम चच था।

• अरबवासियों के भारत पर आक्रमण करने का मुख्य उद्देश्य धन लूटना तथा इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना था।

अरब आक्रमणकारी ‘बोलन दर्रे’ के रास्ते भारत आये।

• अल हज्जाज की मृत्यु 714 ई. में हुई।

• मुहम्मद बिन कासिम को 715 ई. में भारत से वापस बुला लिया गया।

• मुहम्मद बिन कासिम ने जुनैद को सिंध का राज्यपाल नियुक्त किया।

• जुनैद को प्रतिहार शासक नागभट्ट ने पराजित किया।

• भारत पर अरब आक्रमण से भविष्य में भारत पर आक्रमण करने वालों का मार्ग प्रशस्त हुआ।

• अरबों ने सिंध में ऊँट पालन और खजूर की खेती का प्रचलन किया।

• अरबों ने ‘दिरहम’ नामक सिक्के का सिंध में प्रचलन करवाया।

महमूद गजनवी

• गजनी साम्राज्य की स्थापना अलप्तगीन नामक तुर्क सरदार ने की।

• सुबुक्तगीन अलप्तगीन का गुलाम एवं दामाद था।

• सुबुक्तगीन गजनी की राजगद्दी पर 977 ई. में बैठा।

• सुबुक्तगीन का उत्तराधिकारी महमूद गजनवी हुआ।

• सुबुक्तगीन के शासन काल में गजनवी खुरासान का शासक था।

• महमूद गजनवी को राजगद्दी के लिए अपने भाई इस्माइल से संघर्ष करना पड़ा।

• महमूद गजनवी 998 ई. में गद्दी पर बैठा।

• महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा कादिर से सुल्तान पद की मान्यता प्राप्त की।

• महमूद गजनवी ने 1000 ई. से 1028 ई. तक सत्रह बार भारत पर आक्रमण किया।

• महमूद गजनवी का प्रथम आक्रमण 1000 ई. में हुआ तथा सीमा पर कुछ किलों को जीता।

• 1001 ई. में दूसरे आक्रमण में गजनवी ने पेशावर के निकट हिन्दूशाही राजा जयपाल को पराजित किया।

• जयपाल के बाद आनन्दपाल गद्दी पर बैठा।

• महमूद गजनवी ने मुल्तान को 1006 ई. में विजित किया।

• महमूद गजनवी ने कन्नौज पर 1018 ई. में आधिपत्य जमाया।

• महमूद गजनवी ने यमीन-उद्दौला तथा यमीन-उल-मिल्लाह की उपाधि धारण की थी।

• महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर 1025 ई. में आक्रमण किया।

• महमूद गजनवी ने सोमनाथ की मूर्ति के टुकड़ों को मक्का, मदीना और गजनी के मस्जिद की सीढ़ियों में लगवाया।

• महमूद गजनवी को विद्याधर चंदेल से (1008 ई. में) सन्धि करनी पड़ी।

• महमूद गजनवी का अंतिम आक्रमण 1027 ई. में जाटों के विरुद्ध था।

• महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में हुई।

• महमूद गजनवी का दरबारी इतिहासकार उत्बी था।

• ‘किताब-उल-यामिनी’ की रचना उत्बी ने की।

• ‘शाहनामा’ की रचना फिरदौसी ने की।

• अलबरुनी ने ‘किताब-उल-हिन्द’ या तहकीक-ए-हिन्द की रचना की।

• महमूद गजनवी के साथ उत्बी, फिरदौसी, अलबरुनी, बैहाकी एवं फारुखी विद्वान भारत आये।

• महमूद गजनवी ने गजनी में विश्वविद्यालय स्थापित किया।

• महमूद गजनवी के दो पुत्र (मसूद और मुहम्मद) थे।

• महमूद गजनवी की सेना मे संवेदराय एवं तिलक सेना के उच्च पदों पर थे।

• सोमनाथ आक्रमण के समय महमूद गजनवी ने लगभग 50,000 हिन्दुओं का कत्ल किया था।

• महमूद गजनवी ने अपने को इस्लाम का यश बढ़ाने वाला ‘बुत शिकन’ अर्थात् ‘मूर्तिभंजक’ के तौर पर पेश किया।

मुहम्मद गोरी

• भारत में तुर्क राज्य की स्थापना मुहम्मद गोरी ने की।

• मुहम्मद गोरी का पुरा नाम शिहाबुद्दीन उर्फ मुईजुद्दीन मुहम्मद गोरी था।

• भारत में मुहम्मद गोरी की प्रथम पराजय गुजरात के चालुक्य शासक मूलराज द्वितीय से हुई थी।

• मूलराज द्वितीय ने मुहम्मद गोरी को आबू पर्वत के समीप (1178 ई. में) पराजित किया था।

भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण

• 1175 ई. – मुहम्मद गोरी ने सबसे पहले मुल्तान पर आक्रमण किया।

• 1178 ई. – मुहम्मद गोरी ने गुजरात पर आक्रमण किया, परंतु भीम द्वितीय ने अपनी योग्य और साहसी विधवा मां नायिका देवी के नेतृत्व में आबू पहाड़ के निकट मुहम्मद गोरी का मुकाबला किया और उसको परास्त कर दिया। यह भारत में मुहम्मद गोरी की पहली बड़ी पराजय थी।

• 1179 ई. – मुहम्मद गोरी ने पेशावर को जीत लिया।

• 1185 ई.- मुहम्मद गोरी ने स्यालकोट को जीता और वापस चला गया।

1186 ई. – मुहम्मद गोरी ने पुनः लाहौर पर आक्रमण किया।

• 1191 ई. भटिण्डा के निकट तराईन का – प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में मुहम्मद गोरी की पराजय हुई।

• 1192 ई. – तराईन का द्वितीय युद्ध हुआ जिसमें मुहम्मद गोरी की सजगता और श्रेष्ठ युद्ध प्रणाली के कारण मुसलमानों की जीत हुई। गोविन्द राय इस युद्ध में मारा गया। पृथ्वीराज चौहान ने हताश होकर घोड़े पर बैठकर भागने का प्रयत्न किया, परन्तु सरस्वती के निकट पकड़ा गया और कैद कर लिया गया।

• 1193 ई. – दिल्ली भारत में गोरी के राज्य की राजधानी बन गई।

• 1194 ई. – चन्दावर का युद्ध 1194 ई. में, जयचन्द एवं मुहम्मद गोरी के बीच हुआ जिसमें जयचन्द की हार हुई, परिणामस्वरूप अजमेर पर मुसलमानों का प्रत्यक्ष आधिपत्य स्थापित हो गया।

• 1195-96 ई. – मुहम्मद गोरी पुनः भारत आया। इस बार उसने बयाना को जीता और ग्वालियर पर आक्रमण किया।

• 1196 ई. – अजमेर के संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थान पर ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक एक अन्य विख्यात मस्जिद को बनवाना आरंभ किया गया, जो 1200 ईस्वी में पूर्ण हुई।

● 1205 ई. – मुहम्मद गोरी पुनः भारत आया। झेलम और चेनाब नदी के बीच उसका खोखरों से मुकाबला हुआ।

• 15 मार्च, 1206 ई. – गजनी वापस जाते समय मार्ग में सिन्ध नदी के तट पर दमयक नामक स्थान पर शाम की नमाज पढ़ते समय मुहम्मद गोरी पर खोखर जाति के युवक के नेतृत्व में कुछ व्यक्तियों ने अचानक आक्रमण करके उसका कत्ल कर दिया तथा उसके शव को गजनी में दफनाया गया।

• मुहम्मद गोरी ने अपने विजित प्रदेशों की जिम्मेदारी कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंपी।

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निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट भारत पर अरबों का आक्रमण जरुर अच्छी लगी होगी। भारत पर अरबों का आक्रमण बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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