अपवाह तंत्र (Drainage System)

अपवाह का अभिप्राय जल धाराओं तथा नदियों द्वारा जल के धरातलीय प्रवाह से है। अपवाह तंत्र (Drainage System) का सन्दर्भ सरिताओं की उत्पत्ति तथा उनके समय के साथ विकास से होता है जबकि अपवाह प्रतिरूप (Drainage pattern) का संदर्भ क्षेत्र विशेष की सरिताओं के ज्यामितीय रुप तथा स्थानिक व्यवस्था (Spatial arrangement) से होता है। किसी प्रदेश में उच्चावच तथा जलवायु को दो प्रधान कारक हैं जो प्रवाह प्रतिरूप तथा उसके विशेषताओं को निर्धारित करते हैं।

• किसी भी नदी तंत्र द्वारा अपने सहायक नदियों के साथ अपवाहित क्षेत्र को अपवाह द्रोणी (Drainage Basin) की संज्ञा दी जाती है। ध्यातव्य है कि एक अपवाह द्रोणी को दूसरे अपवाह द्रोणी से अलग करने वाली सीमा को जल-विभाजक (Water – Di- vider) कहते हैं।

• भारत नदियों का देश है। यहाँ 4000 से भी अधिक छोटी- बड़ी नदियाँ मिलती हैं। इनके अपवाह को मोटे तौर पर दो वर्गों में विभक्त किया जाता है। यथा-

(A) हिमालय का अपवाह
(B) प्रायद्वीपीय अपवाह

हिमालय का अपवाह (Himalayan Drainage)

हिमालय की उत्पत्ति के पूर्व तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से निकलने वाली सिन्धु, सतलज, एवं ब्रह्मपुत्र नदी टिथीस भूसन्नति में गिरती थी, तथा प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ जैसे चम्बल, बेतवा, केन, सोन इत्यादि भी उत्तर प्रवाहित होती हुई टिथीस भूसन्नति में गिरती थी। * टिथीस भूसन्नति के मलवे पर भारतीय प्लेट के दबाव से वृहद् हिमालय की उत्पत्ति हुई जिसका उत्थान धीरे-धीरे हुआ।* फलस्वरुप सिन्धु, सतलज तथा ब्रह्मपुत्र ने मार्ग में उठने वाले वृहद् हिमालय को काटकर अपनी दिशा पूर्ववत् बनाए रखा जिसके फलस्वरुप इन्हें पूर्ववर्ती नदी (Antecedent River) कहा जाता है।* इन तीनों नदियों ने वृहद् हिमालय को काटकर खड़े कगार वाले खड्डों का निर्माण किया है जिन्हें गार्ज (Gorg) कहा जाता है, जैसे सिन्धु गार्ज जम्मू कश्मीर में सिन्धु नदी द्वारा बनाया गया है, शिपकीला गार्ज हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी द्वारा बनाया गया है तथा कोरबा गार्ज अरुणांचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा बनाया गया है।

वृहद् हिमालय के धीरे धीरे ऊपर उठते रहने के दौरान वर्षा का जल हिमालय पर नदी घाटियों का विकास किया। वृहद् हिमालय की चोटियों के हिमरेखा से ऊपर उठने के पश्चात् वृहद् हिमालय पर बर्फ का आवरण हो गया जिनसे निकले हिमनद्, नदियों द्वारा बनायी गयी घाटियों से होकर बहने लगे। इस प्रकार वृहद् हिमालय में पहले नदी-घाटियाँ बनी फिर हिमनद् । इन नदियों को अनुवर्ती नदी (Consequent River) कहा जाता है, क्योंकि ये ढाल बनने के पश्चात् ढाल के अनुरूप बहना प्रारम्भ करती हैं।*

वृहद् हिमालय की नदियों द्वारा लाया गया अवसाद वृहद् हिमालय के दक्षिण टिथीस भूसन्नति में जमा किया गया जिसमें विभिन्न चट्टानें जैसे बलुआ पत्थर, चूना पत्थर एवं कांग्लोमिरेट इत्यादि का निक्षेप हुआ, जिसके फलस्वरुप टिथीस की तलहटी अवसाद-भार से लचकती गयी। इस पर पुनः भारतीय प्लेट के दबाव से मध्य या लघु हिमालय की धीरे-धीरे उत्पत्ति हुई जिसे वृहद् हिमालय से निकलने वाली विभिन्न नदियों जैसे यमुना, गंगा, काली, गण्डक, कोसी तथा तीस्ता नदियों ने मध्य हिमालय को काटकर अपनी घाटी पूर्ववत् बनाये रखा। इसलिए ये मध्य तथा शिवालिक हिमालय की पूर्ववर्ती नदियाँ कहलाती हैं।*

मध्य हिमालय से निकलने वाली नदियों ने मध्य हिमालय के दक्षिण टिथीस भूसन्नति में अवसादन किया, जिस पर पुनः भारतीय प्लेट के उत्तर-पूर्व खिसक कर दबाव डालने से शिवालिक श्रेणी की उत्पत्ति हुई। स्मरणीय है कि मध्य हिमालय की उत्पत्ति के पश्चात् ब्रह्मपुत्र नदी का जल मध्य हिमालय के दक्षिणी पर्वत-पाद के सहारे पूरब से पश्चिम प्रवाहित होने लगा जो पश्चिम में पाकिस्तान की सिन्धु नदी में मिलकर अरब सागर में गिरता था। इसे इण्डो-ब्रह्म या शिवालिक नदी कहा जाता था, जो अपनी घाटी में अवसादन कर रही थी। इसी अवसादन पर भारतीय प्लेट के उत्तर-पूरब गतिशील होकर दबाव के फलस्वरुप शिवालिक पर्वत की उत्पत्ति हुई जिसे मध्य हिमालय से निकलने वाली नदियों ने काटा तथा शिवालिक के लिए पूर्ववर्ती कहलायी।

स्मरणीय है कि शिवालिक की उत्पत्ति के समय ही अरावली- दिल्ली कटक ऊपर उठा जिससे इण्डो-ब्रह्म नदी का मार्ग अवरुद्ध हो गया।* दिल्ली-अरावली कटक के पश्चिम इसकी घाटी सूख गयी जिसे परित्यक्त घाटी कहते हैं। आज यह सरस्वती या घग्घर के नाम से अवशिष्ट घाटी के रूप में हरियाणा तथा राजस्थान में स्थित है।

दिल्ली कटक के ऊपर उठने से इण्डो- ब्रह्म नदी छिन्न-भिन्न हो गई एवं वर्तमान तीन नदी-तंत्रों में बंट गई। यथा –

सिन्धु तंत्र (The Sindhu System)

• सिन्धु तंत्र विश्व के विशालतम नदी तंत्रों में से एक है। इसके अन्तर्गत सिन्धु तथा उसकी सहायक-नदियाँ यथा- झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज, जास्कर, गोमल, द्रास, श्योक, शिगार, कुर्रम, काबुल तथा गिलगिट सम्मिलित हैं।

• सिन्धु तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट चेमायंगडुंग ग्लेशियर या बोखर चू हिमानी से निकलती है।

• यह नदी पहले उत्तर-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती है फिर यह हिमालय पर्वत को काटकर दमचौक के निकट भारत में प्रवेश करती है।

• यह भारतीय केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के दो जिलों (लेह एवं कारगिल) में प्रवाहित होने के पश्चात पाक अधिकृत कश्मीर में चली जाती है।

• सिन्धु एक पूर्ववर्ती नदी है, जो नंगा पर्वत के उत्तर ‘बुंजी’ नामक स्थान पर लद्दाख श्रेणी को काटकर गार्ज (5181 मी. गहरी) का निर्माण करती है।

• सिंधु नदी चिल्लास के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है। यह 2,880 किमी. लम्बी है तथा इसका संग्रहण क्षेत्र 11.65 लाख वर्ग किमी (भारत में 3.21 लाख वर्ग किमी.) है।

• ज्ञातव्य है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सिन्धु जल समझौते (1960) के अन्तर्गत भारत सिन्धु व उसकी सहायक नदियों के 20% जल का उपयोग कर सकता है।*

• सिन्धु नदी की बायीं ओर से मिलने वाली नदियों में पंजाब की पाँच नदियाँ सतलज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम (पंचनद) सबसे प्रमुख हैं। ये पाँचों नदियाँ संयुक्त रूप से सिन्धु नदी की मुख्य धारा से मीठनकोट के पास मिलती हैं। जास्कर, सोहन स्यांग, शिगार बायीं ओर से मिलने वाली अन्य प्रमुख नदियाँ हैं।

• दायीं ओर से मिलने वाली नदियों में श्योक, काबुल, कुर्रम, तोची, गोमल, गिलगित आदि प्रमुख हैं।

• काबुल व उसकी सहायक नदियाँ सिन्धु में अटक के पास मिलती हैं। सिन्धु नदी दक्षिण-पश्चिम की ओर बहते हुए करांची के पूर्व में अरब सागर में गिरती है।

• झेलम नदी

यह पीरपंजाल पर्वत की पदस्थली में स्थित बेरीनाग के समीप शेषनाग झील से निकलकर श्री नगर के निकट वुलर झील में मिलती है। पुनः आगे बढ़कर मुजफ्फराबाद से मंगला तक यह भारत- पाक सीमा के लगभग समानान्तर बहती है। कश्मीर की घाटी में अनंतनाग से बारामूला तक झेलम नदी नौकागम्य है। झेलम पाकिस्तान में झंग के निकट चिनाब नदी से मिल जाती है। अतः यह चिनाब की भी सहायक नदी है।

• चिनाब नदी चिनाब सिंधु की विशालतम सहायक नदी है* जो हिमाचल प्रदेश में ‘चन्द्रभागा’ कहलाती है। यह नदी लाहुल में बड़ालाचा ला दर्रे के दोनों ओर से चन्द्र और भागा नामक दो नदियों के रूप में निकलती है। ये दोनों केलांग के निकट तंडी में मिलती है।

• रावी नदी

रावी का उद्गमस्थल कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के समीप है।* इसी के निकट व्यासकुंड से व्यास नदी भी निकलती है। इसकी घाटी को ‘कुल्लू-घाटी’ कहते हैं। व्यास, सतलज की सहायक नदी है एवं कपूरथला के निकट हरि के नामक स्थान पर उससे मिलती है।

• सतलज नदी

सतलज नदी मानसरोवर झील के समीप स्थित राकस ताल* से निकलती है यह एक पूर्ववर्ती (Antecedent) नदी है, जो हिमालय को काटकर और शिपकीला दर्दों के पास भारत (हिमाचल प्रदेश) में प्रवेश करती है।* स्पीति नदी इसकी मुख्य सहायक है। प्रसिद्ध भाखड़ा नांगल बांध सतलज नदी पर ही बनाया गया है।* व्यास नदी हरिके के निकट सतलज से मिल जाती है।

गंगा तंत्र (The Ganga System)

• गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में ‘गोमुख’ के निकट गंगोत्री हिमानी है। यहाँ यह भागीरथी के नाम से जानी जाती है।

• गंगा की दो शीर्ष धाराएँ अलकनन्दा तथा भागीरथी हैं, जो उत्तराखण्ड में देव प्रयाग में संगम कर गंगा का निर्माण करती हैं।

• अलकनन्दा का उद्गम स्थल अलकापुरी स्थित सतोपंथ हिमानी में है। यह चमोली, टिहरी और पौढ़ी गढ़वाल जिलो से होकर प्रवाहित होती है। सुप्रसिद्ध तीर्थ बद्रीनाथ अलकनंदा के तट पर अवस्थित है।* अलकनन्दा की दो धाराएं- धौली गंगा एवं विष्णु गंगा, विष्णु प्रयाग के निकट परस्पर मिलती हैं।

• पिण्डार नदी कर्ण प्रयाग में अलकनन्दा से बायें तट पर मिलती है जबकि मंदाकिनी नदी रूद्र प्रयाग के निकट अलकनंदा से दाहिने तट पर मिलती है।

• ध्यातव्य है कि केदारनाथ, मंदाकिनी नदी के तट पर अवस्थित है।* यह नदी केदारनाथ से रुद्रप्रयाग के मध्य प्रवाहित होती है।

• गंगा हरिद्वार के निकट पहाड़ों से निकलकर मैदानी भाग में प्रवेश करती है।* इसमें दाहिनी ओर से यमुना, प्रयाग के निकट मिलती है।

पंच प्रयाग (नीचे से ऊपर)
प्रयाग
संगम
• देव प्रयाग (टिहरी)
भागीरथी – अलकनंदा
• रुद्र प्रयाग
अलकनन्दा – मन्दाकिनी
• कर्ण प्रयाग (चमोली)
अलकनन्दा-पिण्डार
• नंद प्रयाग (चमोली)
अलकनन्दा-नन्दाकिनी
• विष्णु प्रयाग (चमोली)
धौलीगंगा-विष्णुगंगा

• दक्षिणी पठार से आकर सीधे गंगा में मिलने वाली नदी टोंस एवं सोन हैं।* जो क्रमशः इलाहाबाद के बाद एवं पटना से पहले गंगा में मिलती हैं।*

• गंगा के बाएँ तट की मुख्य सहायक नदियाँ पश्चिम से पूर्व इस प्रकार है- रामगंगा, वरुणा गोमती, घाघरा (सरयू), गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी तथा महानंदा।

• गंगा नदी की सबसे अधिक लम्बाई उत्तर प्रदेश में है। जब गंगा नदी पश्चिम बंगाल में पहुँचती है तो भागीरथी और हुगली नाम की दो प्रमुख वितरिकाओं में बँट जाती है। ज्ञातव्य है कि वितरिका (Distributary) मुख्य नदी से निकलने वाली ऐसी छोटी नदी होती है जिसमें वह पुनः नहीं मिलती है, जैसे- हुगली।

• आगे छोटानागपुर पठार की दामोदर नदी हुगली में आकर मिलती है। मुख्य नदी भागीरथी पश्चिमी बंगाल के फरक्का संज्ञक स्थान से बांग्लादेश में चली जाती है, जहाँ वह पहले प‌द्मा की संज्ञा से अभिहित की जाती है।* यहाँ से गंगा कई धाराओं में बंटकर डेल्टाई मैदान में दक्षिण की ओर बहती हुई समुद्र से मिलती है।

• पाबना से पूर्व, गोलुंडो के पास ब्रह्मपुत्र (जो यहाँ जमुना के नाम से पहचानी जाती है) पद्मा से मिलती है।* संयुक्त धारा पद्मा के नाम से आगे बढ़ती है। चांदपुर के पास मेघना इससे आ मिलती है और तत्पश्चात यह मेघना नाम से ही अनेक जल-वितरिकाओं में बँटकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

• गंगा-ब्रह्मपुत्र मिलकर विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा का निर्माण करती हैं।* जिसका विस्तार हुगली और मेघना नदियों के बीच है।

● डेल्टा का समुद्री भाग घने वनों से ढंका है। सुन्दरी वृक्ष की अधिकता से यह ‘सुन्दर वन’ कहलाता है।

• हुगली को विश्व की सबसे अधिक ‘विश्वासघाती नदी’ (Treacherous river) कहते हैं। * इसी तट पर कोलकाता बंदरगाह है जिसे ‘पूर्व का लंदन’ कहते हैं।*

यमुना नदी गंगा नदी-तंत्र की सर्वाधिक लम्बी सहायक नदी है जो बंदरपूँछ श्रेणी पर स्थित यमुनोत्री हिमानी (टेहरी गढ़वाल जिला) से निकलती है। * इसमें चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन नदियाँ यमुना के दाहिने तट पर आकर मिलती है। ये सभी मालवा के पठार से बहती हैं। इसके बाँयी तट पर मिलने वाली नदियों में टोंस, हिण्डन, करेन एवं सेंगर प्रमुख हैं।

सोन नदी अमरकंटक की पहाड़ियों में नर्मदा के उद्गम स्थल के निकट से निकलकर उत्तर दिशा में प्रवाहित होती हुई, पटना के समीप गंगा में मिल जाती है। * इस नदी के रेत में सोने के कण पाये जाने के कारण ‘स्वर्ण नदी’ की संज्ञा से भी अभिहित किया जाता है।

ब्रह्मपुत्र तंत्र (The Brahmaputra System)

● ब्रह्मपुत्र बेसिन चार देशों-चीन, भारत, भूटान एवं बांग्लादेश में फैला है। चीन (तिब्बत) में इसे सांगपो (व यरलूंग जंगबो), अरुणाचल में दिहांग, असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में इसे जमुना की संज्ञा प्रदान की गई हैं। यह भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम, प. बंगाल, मेघालय, नगालैण्ड और सिक्किम राज्यों में फैला है। यह नदी (तिब्बत में सांगपों या साँपू) मानसरोवर झील के निकट आंग्सी ग्लेशियर (चेमायुंगडुंग हिमनद्) से निकलती है। यह गंगा में मिलने वाली नदियों में सबसे बड़ी नदी है।

• ब्रह्मपुत्र नदी का बेसिन मानसरोवर झील में मरियन ला दर्रे द्वारा पृथक है। अपने उत्पत्ति स्थान से पश्चिम से पूर्व की ओर 1100 किमी. तक मुख्य हिमालय श्रेणी के समान्तर बहती है। इसके बाद यह दक्षिण की ओर तीव्र मोड़ बनाते हुए नामचा बरवा के निकट हिमालय को काटती हुई एक गहरा कैनियन का निर्माण करती है।

• ध्यातव्य है कि भारत में प्रविष्ट होने से ठीक पहले ब्रह्मपुत्र नदी अपने प्रवाह में तीव्र मोड़ अर्थात यू-टर्न (U-turn) लेती है, जिसका भूवैज्ञानिकीय कारण तरुण हिमालय का अक्षसंघीय नमन है।

• यह नदी सियांग और फिर दिहांग के नाम से भारत में प्रवेश करती है।

• पासीघाट के निकट (सादिया नगर के पास) इसकी दो सहायक नदियाँ दिबांग और लोहित इसके दायें किनारे पर आकर मिलती हैं, तत्पश्चात् इसका नाम ब्रह्मपुत्र पड़ता है।

• इसके बाद ब्रह्मपुत्र, असम घाटी में प्रवेश करती है जहाँ कई सहायक नदियाँ ब्रह्मपुत्र से मिलती हैं। इनमें सुबनसिरी, जिया भरेली, धनसिरी, पुथीमारी, पगलादिया, कपिली और मानस हैं। ध्यातव्य है कि जिया भरेली नदी अरुणाचल प्रदेश में कमेंग नाम से जानी जाती है (IAS:16), जबकि असम में इसे जिया भरेली कहते हैं।

• तिब्बत पठार, जिसे चेंग तांग और क्वाघाई-तिब्बत पठार के नाम से भी जाना जाता है। समुद्र तल से औसतन 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे ‘विश्व का छत’ (The roof of the world) भी कहा जाता है। 2.5 मिलियन वर्ग किमी. क्षेत्रफल वाले इस पठार से निकलने वाली नदियां इस प्रकार हैं- 1. यांग्त्जी नदी (चेंग जियांग), 2. ह्वांग हो (पीत नदी), 3. सिंधु नदी, 4. सतलज नदी, 5. ब्रह्मपुत्र नदी, 6. मेकांग नदी, तथा 7. सालवीन नदी।

• ध्यातव्य है कि कपिली नदी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है। कामरूप नगर इसी के तट पर अवस्थित है।

• असम घाटी में ब्रह्मपुत्र नदी गुंफित जलमार्ग बनाती है जिसमें मांजुली जैसे कुछ बड़े नदी द्वीप भी मिलते हैं। *

• ब्रह्मपुत्र धुबरी शहर तक पश्चिम की ओर बहती है और तत्पश्चात् गारो पहाड़ी से मुड़कर दक्षिण की ओर धुवरी (गोलपारा) के पास बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र का नाम जमुना है। यहाँ ब्रह्मपुत्र में तीस्ता आदि नदियाँ मिलकर अंत में पद्मा (गंगा) में मिल जाती है।

• पद्मा (गंगा) नदी मेघना नदी से मिलने के बाद, मेघना नाम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है। मेघना की मुख्यधारा बराक नदी का उद्भव मणिपुर की पहाड़ियों से होता है। बराक नदी मिजोरम तथा असम से होती हुई बांग्लादेश में तब तक बहती रहती है, जब तक कि भैरव बाजार के निकट गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी (मेधना) में इसका विलय नहीं हो जाता।

• तीस्ता नदी : ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक इस नदी का उद्गम सिक्किम राज्य में स्थित चोलामू झील (ऊँचाई 7000 मी. से अधिक) से होता है। इसकी सहायक नदी रंगीत है, जो सिक्किम के रंगोथ हिमनद से निकलती है।

यह भी पढ़ें: द्वीप समूह (Islands)

FAQs

Q1. सिन्ध की सहायक नदी झेलम, किस नदी में आकर मिलती है?
Ans.
चिनाब (पाकिस्तान में झंग के निकट)

Q2. किशनगंगा किसकी सहायक नदी है?
Ans.
झेलम की

Q3. हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है?
Ans.
टोंस (हिमालयी क्षेत्र)

Q4. भारत में गंगा के बायें तट से मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है?
Ans.
महानंदा

Q5. गंगा नदी का स्रोत गंगोत्री हिमनद किस सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल के निकट है?
Ans.
केदारनाथ के निकट

Q6. किस स्थान पर अलकनंदा तथा भागीरथी का संगम होता है?
Ans.
देव प्रयाग

Q7. तिब्बत पठार के ‘मापचा चुंग हिमनद’ से निकलने वाली वह जिसे नेपाल में करनाली की संज्ञा से अभिहित किया जाता है?
Ans.
घाघरा नदी

Q8. वूलर झील से होकर कौन-सी नदी बहती है?
Ans.
झेलम नदी

Q9. श्रीनगर किस नदी के तट पर बसा है?
Ans.
झेलम नदी

Q10. कौन-सी नदी हिमांचल प्रदेश की चंबा घाटी से होकर बहती है?
Ans.
रावी नदी

Q11. लुधियाना एवं फिरोजपुर किस नदी के तट पर बसे है?
Ans.
सतलज नदी

Q12. बायीं ओर से मिलने वाली गंगा की पहली बड़ी सहायक नदी कौन-सी है?
Ans.
रामगंगा

Q13. घाघरा से रामपुर के निकट कोरियाला से कौन-सी नदी मिलती है?
Ans.
शारदा नदी

Q14. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी कौन-सी है?
Ans.
गोदावरी ( दूसरी कृष्णा)

Q15. एडन नहर को जल किस नदी से प्राप्त होता है?
Ans.
दामोदर नदी से

Q16. ‘राजरप्पा’ किन नदियों के संगम पर अवस्थित है?
Ans.
दामोदर एवं भेरा नदी के

Q17. भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र किस नदी का है?
Ans.
गंगा (8,61,404 वर्ग किमी.)

Q18. गंगा का अपवाह क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का कितना प्रतिशत है?
Ans.
लगभग 26.2% (8,61404 वर्ग किमी.)

Q19. गंगा का जल ग्रहण क्षेत्र कितने देशों में विस्तृत है?
Ans.
चार (तिब्बत, नेपाल, भारत एवं बांग्लादेश)

Q20. भारत के गंगा बेसिन में शुद्ध (Net) बोया गया क्षेत्र और शुद्ध सिंचित क्षेत्र कितना है?
Ans.
क्रमशः 44 और 23.41 मिलियन हेक्टेअर

Q21. गंगा बेसिन में बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशनों की संख्या (C.W.C) कितनी है?
Ans.
87

Q22. गंगा के जलोढ निक्षेपों की मोटाई कितनी है?
Ans.
 6000 मी. तक

Q23. ‘गंगा स्मार्ट सिटी’ परियोजना कब शुरू की गई?
Ans.
13 अगस्त, 2016 को।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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