फ्रांस की राज्यक्रांति

फ्रांस की राज्यक्रांति

फ्रांस की राज्यक्रांति, जिसे फ्रेंच रेवोल्यूशन भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी जो 1789 से 1799 तक फ्रांस में हुई। यह घटना राष्ट्रीय और सामाजिक परिवर्तन का केंद्र था और इसने फ्रांस में अधिकारवाद, सामाजिक विभाजन, और राजनीतिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाया। इस घटना का प्रभाव पूरे यूरोप में महसूस हुआ और यह दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया।

•  14 जुलाई, 1789 बास्तिल के किले पर उत्तेजित फ्रांसीसियों द्वारा किए गए आक्रमण के साथ ही फ्रांसीसी राज्य क्रांति आरम्भ हो गयी। उस समय लुई सोलहवाँ फ्रांस का राजा था।

• टूलेरीज राजमहल -जहाँ राजा रहता था।

क्रांति का स्वरूप : फ्रांसीसी क्रांति स्वेच्छाचारिता या एकतंत्र और कुलीनतंत्र के विरुद्ध फ्रांसीसी जनता का विद्रोह था। जिस प्रकार धर्मसुधार आन्दोलन रोमन कैथोलिक चर्च के अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह था, उसी प्रकार फ्रांस की राज्य क्रांति सक्षम तथा कुलीनतंत्र के विरुद्ध विद्रोह था।

क्रांति के कारण

• लुई सोलहवाँ सदाचारी एवं अच्छी प्रकृति का होने के बावजूद भी अपने सामंतों और अपनी रानी मेरी आन्त्वानेत के वश में था । उसने अपने योग्य मंत्री टोट (तुगर्गो) को 1776 ई० में बर्खास्त कर दिया; क्योंकि उसने प्रशासन में सुधार करने तथा सामंतों की शक्ति पर प्रतिबंध लगाने का यत्न किया था। इस प्रकार लुई पन्द्रहवाँ एवं सोलहवाँ अक्षम और व्यर्थ सिद्ध हुए तथा वे अपने भ्रष्ट मंत्रियों एवं चापलूस और स्वार्थी सामंतों के वश में थे ।

• अठारहवीं सदी में फ्रांस में लोगों की कोई प्रतिनिधि सभा नहीं थी । फ्रांस का शिक्षित वर्ग इस दोष को अनुभव करता था और अपने देश के इस राजनैतिक ढाँचे से असंतुष्ट था ।

• फ्रांस में अधिकांश भूमि के मालिक सामंत एवं ऊँचे पादरी थे जो संख्या में थोड़े होने पर भी विशेष सामाजिक एवं राजनैतिक अधिकारों का उपयोग करते थे। चर्च एक निकम्मा परन्तु धनी संस्थान बन गया था। फ्रांस के समूचे भू-भाग का पाँचवाँ भाग चर्च की संपत्ति था और शेष भाग की उपज का दसवाँ भाग भी चर्च का ही होता था।

• फ्रांसीसियों ने अमेरिकी स्वातंत्र्य युद्ध में भी भाग लिया क्योंकि इंग्लैण्ड से उसकी पुरानी शत्रुता थी।

• फ्रांस के सामंत वर्ग स्थिति एवं व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहते थे; क्योंकि वे सुविधा भोगी वर्ग थे।

क्रांति के परिणाम

• फ्रांस में सामंतवाद को समाप्त किया गया । यूरोप में यह व्यवस्था हजार वर्षों से चली आ रही थी। इससे कुलीनों के विशेषाधिकार समाप्त हो गए और कर की समान व्यवस्था स्थापित हुई ।

• क्रांति के दिनों में फ्रांस का रोमन कैथोलिक चर्च निष्क्रिय कर दिया गया । उसकी जगह पर राज्य द्वारा संभोषित, समर्पित धर्मनिरपेक्ष सामाजिक एजेंसियों की स्थापना हुई थी ।

• नेपोलियन सत्ता में आया तो नेपोलियन के कानून चलाए गए थे। इन कानूनों की बहुत सी बातें लंबे समय तक चलन में बनी रहीं। उनमें से कुछ तो आज भी बरकरार हैं। फ्रांस की क्रांति ने ‘राष्ट्र’ शब्द का आधुनिक अर्थ स्पष्ट किया। राष्ट्र केवल उस प्रदेश को नहीं कहते जहाँ वहाँ के लोग रहते हैं बल्कि स्वयं उन लोगों को ही कहते हैं। अब फ्रांस केवल वह देश-प्रदेश नहीं रहा जिसे लोग फ्रांस के नाम से जानते थे, बल्कि फ्रांस का अर्थ ‘फ्रांस के लोग’ समझा जाने लगा ।

• सम्प्रभुता संपन्न होने के विचार के कारण ही फ्रांस की सैनिक शक्ति प्रबल हो सकी और संपूर्ण राष्ट्र उस सेना के साथ संगठित हो गया जिसके सैनिक क्रांतिदर्शी नागरिक थे। जैकोबिन संविधान के अंतर्गत समस्त लोगों को मताधिकार और विद्रोह करने का अधिकार दिया गया ।

• नेपोलियन की हार के बाद, फ्रांस का पुराना शासक राजघराना फिर राजगद्दी पा गया । यद्यपि कुछ ही वर्षों बाद 1830 ई. में फिर एक क्रांति हुई। 1848 ई० में राजतंत्र को फिर उखाड़ फेंका गया हालांकि वह जल्दी ही फिर शक्ति-संपन्न हो गया। अंत में 1871 ई० में गणतंत्र की पुनः स्थापना की गई।

• मतदान और प्रतिनिधि चुनने के अधिकारों से जन-साधारण की सभी समस्याओं का हल नहीं निकला । किसानों को भूमि मिल गई । किंतु मजदूरों और कारीगरों की क्रांति के मुख्य संचालक वही थे। शीघ्र ही फ्रांस उन देशों में से एक हो गया जिनमें सामाजिक समानता एवं समाजवाद के विचारों ने पहली बार एक नए किस्म के राजनीतिक आंदोलन को उठाया ।

फ्रांस की राज्यक्रांति विशेषताएं

फ्रांस की राज्यक्रांति के विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:

1. बस्तिले का विध्वंस (Fall of the Bastille): 14 जुलाई 1789 को बस्तिले, एक कारागार और प्रतिष्ठान, का विध्वंस हुआ। इस घटना ने जनसमृद्धि को बढ़ावा दिया और राज्यक्रांति की शुरुआत की गई।

2. मानवाधिकारों का घोषणा पत्र (Declaration of the Rights of Man and of the Citizen): 1789 में मानवाधिकारों का घोषणा पत्र पारिस राष्ट्रसभा ने अपनाया, जिसमें नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, और भ्रांतियों से मुक्ति का अधिकार मिला।

3. राष्ट्रीय सभीकरण (Nationalization): समर्थन और सरकारी नियंत्रण में होने वाली उद्योगों, संपत्तियों, और धरोहरों की राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया शुरू हुई, जिससे समाज में समानता बढ़ी।

4. सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन (Social and Economic Changes): राज्यक्रांति ने समाज में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की अनेक पहलियों को अंजाम दिया, जिसमें ज़मींदारों की भूमि का बांटवारा, कर्जमाफी, और धर्मनिरपेक्षता शामिल थीं।

5. राष्ट्रीय समन्वय (National Unity): राज्यक्रांति ने फ्रांस में एक सामरिक और राष्ट्रीय समन्वय का सिरजन किया, जिससे एक समृद्ध और ऐक्यशील राष्ट्र की बुनियाद रखी गई।

6. नपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte): राज्यक्रांति के पश्चात नपोलियन बोनापार्ट ने सत्ता में आकर खुद को एक साम्राज्यी नेता घोषित किया और उसने फ्रांस को एक बड़े राष्ट्र का दर्जा प्रदान किया।

7. कुर्सी की युद्ध (War of the First Coalition): राज्यक्रांति ने फ्रांस को यूरोपीय राजाओं के साथ कुर्सी की युद्ध में ले लिया, जिससे फ्रांस ने अपने संबंधित क्षेत्रों में अपनी बढ़ती शक्ति को दिखाया।

8. राष्ट्रीय भाषा फ्रेंच (French as the National Language): फ्रांस की राज्यक्रांति ने फ्रेंच को एक सामरिक और राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित किया, जिससे समृद्धि और एकता का आभास हुआ।

फ्रांस की राज्यक्रांति ने यूरोपीय इतिहास को अद्वितीय रूप से प्रभावित किया और सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक परिवर्तनों की मुख्य दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया।

फ्रांस की राज्यक्रांति प्रभाव

फ्रांस की राज्यक्रांति ने विश्व के इतिहास में गहरा प्रभाव डाला और यह कई तरीकों से दुनिया को प्रभावित किया:

1. देशाध्याय (Nationalism): फ्रांस की राज्यक्रांति ने एक सशक्त और एकत्रित राष्ट्र की अंगीकारित की शुरुआत की, जिससे राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय भावना ने विकसित होना शुरू हुआ।

2. मानवाधिकार और स्वतंत्रता: राज्यक्रांति ने मानवाधिकारों का एक महत्वपूर्ण पैम्बर के रूप में रचा और स्वतंत्रता, समानता, और भ्रांतियों से मुक्ति की मांग की।

3. राजनीतिक परिवर्तन: राज्यक्रांति ने फ्रांस में व्यावसायिक और सामाजिक परिवर्तनों के साथ-साथ राजनीतिक परिवर्तन भी किए। लोकतंत्र की नींव रखी गई और सामाजिक समरसता की दिशा में कदम बढ़ाया गया।

4. विश्व इतिहास में प्रभाव: राज्यक्रांति ने विश्व इतिहास में अपनी बड़ी जगह बना ली, और यह दुनिया भर में उत्तर अमेरिका से लेकर यूरोप और अन्य स्थानों में इन्स्पायरेशन का केंद्र बन गई।

5. कला और साहित्य में प्रभाव: राज्यक्रांति ने कला, साहित्य, और फिलॉसफी में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। रोमैंटिक आंदोलन इस दौरान उत्पन्न हुआ, जो आर्थिक और सामाजिक स्थितियों को प्रतिष्ठान देने का प्रयास करता था।

6. नापोलियन की ऊर्जा (Napoleon’s Ambitions): राज्यक्रांति के बाद नापोलियन बोनापार्ट ने अपनी ऊर्जा का प्रदर्शन करके यूरोप में विस्तार का प्रयास किया और फ्रांस को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाया।

7. इतिहासीय संग्रहालय और स्मारक: राज्यक्रांति ने फ्रांस को एक साक्षर समाज और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से योगदान करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया है, जिसे विश्वभर में महत्वपूर्ण माना जाता है।

फ्रांस की राज्यक्रांति ने सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्फीतियों में गहरा प्रभाव डालकर एक नए युग की शुरुआत की और यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बड़ी परिवर्तनात्मक प्रक्रियाएं चिन्हित करती है।

यह भी पढ़ें: धर्म सुधार आंदोलन

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट फ्रांस की राज्यक्रांति जरुर अच्छी लगी होगी। फ्रांस की राज्यक्रांति के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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