प्रकाश : अध्याय 11

आपने पतली झिरी अथवा छिद्र से सूर्य के प्रकाश के किरण पुंज को कमरे में प्रवेश करते हुए देखा होगा। स्कूटर, कार तथा रेलगाड़ी के इंजनों के अग्रदीपों (हैडलैंप) से आते प्रकाश के किरण पुंजों को भी आपने अवश्य देखा होगा [चित्र 11.1 (a)]। इसी प्रकार, टॉर्च से भी प्रकाश के किरण पुंज को देखा जा सकता है। संभवतः आप में से कुछ ने लाइट हाउस या विमान पत्तन (एयरपोर्ट) के टॉवर की सर्चलाइट के किरण पुंज को देखा होगा [चित्र 11.1 (b)]। ये अनुभव क्या संकेत करते हैं?

11.1 प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता है

बूझो कक्षा 6 में किए गए एक क्रियाकलाप को स्मरण करता है। इस क्रियाकलाप में उसने एक मोमबत्ती की लौ (ज्वाला) की ओर पहले एक सीधे पाइप से और फिर मुड़े हुए पाइप से देखा था (चित्र 11.2)।

बूझो मुड़े हुए पाइप से मोमबत्ती की लौ को क्यों नहीं देख पाया था?

यह क्रियाकलाप दर्शाता है कि प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।

हम प्रकाश के पथ को कैसे परिवर्तित कर सकते हैं? क्या आप जानते हैं कि जब प्रकाश किसी पॉलिश किए हुए या चमकदार पृष्ठ (सतह) पर पड़ता है, तो क्या होता है?

11.2 प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश की दिशा को परिवर्तित करने की एक विधि यह है कि इसे किसी चमकदार पृष्ठ पर डाला जाए। उदाहरण के लिए, स्टेनलेस इस्पात की चमकदार प्लेट अथवा इस्पात की चमकदार चम्मच प्रकाश की दिशा को परिवर्तित कर सकती है। जल का पृष्ठ भी दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है तथा प्रकाश के पथ को बदल सकता है। क्या आपने कभी जल में पेड़ों अथवा इमारतों का परावर्तन देखा है (चित्र 11.3)?

कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है। जब प्रकाश किसी दर्पण पर पड़ता है, तो क्या होता है?

आप कक्षा 6 में पढ़ चुके हैं कि दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को बदल देता है। दर्पण द्वारा प्रकाश की दिशा का यह परिवर्तन प्रकाश का परावर्तन कहलाता है। क्या आपको वह क्रियाकलाप याद है, जिसमें आपने एक टॉर्च के प्रकाश को दर्पण द्वारा परावर्तित कराया था?

पहेली को पंचतंत्र की शेर तथा खरगोश की कहानी याद आ रही है, जिसमें खरगोश ने शेर को पानी में उसका परावर्तन दिखाकर मूर्ख बनाया था (चित्र 11.4)।

आइए, उसी से मिलता-जुलता एक क्रियाकलाप करें।

क्रियाकलाप 11.1

एक टॉर्च लीजिए। इसके काँच को चित्र 11.5 में दर्शाए अनुसार काले रंग के चार्ट पेपर के टुकड़े से ढकिए, जिसमें तीन पतली झिर्रियाँ (स्लिट) बनी हों। लकड़ी के किसी चिकने बोर्ड पर एक अन्य चार्ट पेपर की एक शीट फैलाइए। चार्ट पेपर पर समतल दर्पण की एक पट्टी ऊर्ध्वाधर स्थिति में रखिए (चित्र 11.5)। अब टॉर्च की झिर्रियों से निकलने वाले प्रकाश किरण पुंज को दर्पण पर डालिए। टॉर्च को इस प्रकार समायोजित कीजिए कि इसका प्रकाश, बोर्ड पर लगे चार्ट पेपर के अनुदिश दिखाई दे। अब इसकी स्थिति को इस प्रकार समायोजित कीजिए कि टॉर्च का प्रकाश समतल दर्पण पर एक कोण बनाते हुए टकराए (चित्र 11.5)।

क्या दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा परिवर्तित कर देता है? अब टॉर्च को थोड़ा-सा इधर-उधर इस प्रकार हटाइए कि दर्पण पर प्रकाश पड़ता रहे। क्या आप परावर्तित प्रकाश की दिशा में कोई परिवर्तन देखते हैं?

परावर्तित प्रकाश की दिशा के अनुदिश दर्पण में देखिए। क्या दर्पण में आपको टॉर्च पर लगी झिर्रियाँ दिखाई देती हैं? यह झिर्रियों का प्रतिबिंब है।

यह क्रियाकलाप दर्शाता है कि प्रकाश समतल दर्पण से किस प्रकार परावर्तित होता है। आइए, दर्पणों में बनने वाले प्रतिबिंबों से खेलें तथा उनके विषय में कुछ और अधिक जानकारी प्राप्त करें।

क्रियाकलाप 11.2

चेतावनी : जलती हुई मोमबत्ती का उपयोग करते समय सावधानी बरतें। इस क्रियाकलाप को यदि अपने अध्यापक या घर के किसी बड़े सदस्य की उपस्थिति में करें, तो अच्छा है।

एक समतल दर्पण के सामने एक जलती हुई मोमबत्ती रखिए। मोमबत्ती की लौ को दर्पण में देखने का प्रयत्न कीजिए। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे कि इसी प्रकार की एक मोमबत्ती दर्पण के पीछे रखी हो। जो मोमबत्ती दर्पण के पीछे रखी प्रतीत होती है, दर्पण द्वारा बनाया गया मोमबत्ती का प्रतिबिंब है (चित्र 11.6)। यहाँ मोमबत्ती किसी बिंब (वस्तु) का उदाहरण है।

अब मोमबत्ती को दर्पण के सामने विभिन्न स्थितियों में रखिए। प्रत्येक अवस्था में प्रतिबिंब को देखिए।

क्या प्रत्येक दशा में प्रतिबिंब सीधा है? क्या प्रतिबिंब की लौ बिंब की लौ की भाँति मोमबत्ती के ऊपरी सिरे पर दिखाई दे रही है? इस प्रकार के प्रतिबिंब को सीधा प्रतिबिंब कहते हैं। समतल दर्पण द्वारा बनने वाला प्रतिबिंब दर्पण में सीधा तथा बिंब के समान आमाप (साइज़) का दिखाई देता है।

अब दर्पण के पीछे एक पर्दा ऊर्ध्वाधर रखिए। पर्दे पर मोमबत्ती का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? अब पर्दे को दर्पण के सामने रखिए। क्या अब आप पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? आप देखेंगे कि किसी भी स्थिति में मोमबत्ती का प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।

दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी कितनी है? आइए, एक और क्रियाकलाप करें।

क्रियाकलाप 11.3

शतरंज का एक बोर्ड (चेसबोर्ड) लीजिए। यदि चेसबोर्ड उपलब्ध न हो तो एक चार्ट पेपर पर समान साइज के 64 वर्ग बनाइए। पेपर के मध्य में एक मोटी रेखा खींचिए। इस रेखा पर एक समतल दर्पण को ऊर्ध्वाधर रखिए। दर्पण के सामने तीसरे वर्ग की सीमा पर कोई छोटी वस्तु, जैसे पेंसिल, शार्पनर रखिए (चित्र 11.7)। दर्पण में इसके प्रतिबिंब की स्थिति नोट कीजिए। अब वस्तु को चौथे वर्ग की सीमा पर रखिए। फिर से दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति नोट कीजिए। क्या आप दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी तथा दर्पण के सामने रखे बिंब की दूरी में कोई संबंध पाते हैं?

आप देखेंगे कि प्रतिबिंब दर्पण से कि प्रतिबिं उसके पीछे उतनी ही दूरी पर होता है, जितनी कि दर्पण से बिंब की दूरी होती है। अब इसकी पुष्टि चार्ट पेपर (चेसबोर्ड) पर बिंब को किसी भी स्थान पर रखकर कीजिए।

11.3 दक्षिण या वाम

जब आप समतल दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखते हैं, तो क्या यह ठीक आपके जैसा दिखाई देता है? क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि आप तथा दर्पण में आपके प्रतिबिंब में एक रोचक अंतर है? आइए, इसे ज्ञात करें।

एक समतल दर्पण के सामने खड़े होकर अपने प्रतिबिंब को देखिए। अपने दक्षिण (दाहिने) हाथ को ऊपर उठाइए। आपका प्रतिबिंब अपना कौन-सा हाथ ऊपर उठाता है (चित्र 11.8)? अब अपने वाम (बाएँ) कान को स्पर्श कीजिए। आपके प्रतिबिंब में हाथ आपके किस कान को स्पर्श करता है? ध्यानपूर्वक देखिए। आप देखेंगे कि प्रतिबिंब में ‘दक्षिण’ ‘वाम’ दिखाई पड़ता है तथा ‘वाम’ ‘दक्षिण’ दिखाई पड़ता है।

ध्यान दीजिए कि केवल पार्श्व (साइड) में ही यह अदला-बदली हुई है; प्रतिबिंब उल्टा (ऊपर का भाग नीचे) नहीं दिखाई देता।

अब एक कागज़ के टुकड़े पर अपना नाम लिखिए तथा इसे समतल दर्पण के सामने पकड़कर रखिए। यह दर्पण में कैसा दिखाई देता है?

क्या अब आप समझ सकते हैं कि रोगीवाहनों पर शब्द “AMBULANCE” को चित्र 11.9 की भाँति क्यों लिखा जाता है? जब रोगीवाहन के आगे जाने वाले वाहनों के चालक अपने पश्च दृश्य दर्पण (पीछे का दृश्य दिखाने वाला दर्पण) में देखते हैं, तो वे रोगीवाहन पर लिखे “AMBULANCE” को स्पष्ट पढ़ सकते हैं और उसे आगे जाने के लिए रास्ता दे देते हैं। हम में से प्रत्येक का यह कर्तव्य है कि रोगीवाहन का रास्ता रोके बिना उसे आगे जाने दें।

आपने देखा होगा कि स्कूटर या कार के पार्श्व दर्पण में सभी वस्तुओं के प्रतिबिंब स्वयं वस्तुओं से छोटे दिखाई देते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

11.4 गोलीय दर्पणों से खेल

पहेली तथा बूझो सायंकाल भोजन के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। बूझो ने स्टेनलेस इस्पात की एक प्लेट उठाई और उसमें अपना प्रतिबिंब देखा। अरे! यह प्लेट तो समतल दर्पण की भाँति कार्य करती है। मेरा प्रतिबिंब सीधा तथा समान साइज़ का है। पहेली ने अपना प्रतिबिंब इस्पात की चम्मच के बाहरी अर्थात् पीछे वाले पृष्ठ का उपयोग करके देखा। पहेली ने कहा, “बूझो इधर देखो। मैं भी अपना सीधा प्रतिबिंब देख सकती हूँ, यद्यपि यह साइज़ में छोटा है। यह चम्मच भी एक प्रकार के दर्पण की भाँति कार्य करती है”।

आप भी चम्मच या कोई भी वक्रित चमकदार पृष्ठ का उपयोग अपना प्रतिबिंब देखने के लिए कर सकते हैं।

क्रियाकलाप 11.5

स्टेनलेस इस्पात की एक चम्मच लीजिए। चम्मच के बाहरी पृष्ठ को अपने चेहरे के पास लाइए तथा इसमें देखिए। क्या आप इसमें अपना प्रतिबिंब देख पाते हैं (चित्र 11.10)? आपने जैसा प्रतिबिंब समतल दर्पण में देखा था, क्या यह प्रतिबिंब उससे भिन्न है? क्या यह प्रतिबिंब सीधा है? क्या इसका साइज़ बिंब के साइज के समान है अथवा छोटा है या बड़ा है?

अब चम्मच के भीतरी पृष्ठ का उपयोग करके अपना प्रतिबिंब देखिए। हो सकता है इस बार आपको अपना प्रतिबिंब सीधा तथा बड़ा दिखाई दे। यदि आप अपने चेहरे से चम्मच की दूरी बढ़ाएँ, तो संभव है कि आप अपना उल्टा प्रतिबिंब देख पाएँ (चित्र 11.11)। अपने चेहरे के स्थान पर, आप अपने पेन अथवा पेंसिल के प्रतिबिंब की भी तुलना कर सकते हैं।

चम्मच का वक्रित चमकदार पृष्ठ एक दर्पण की भाँति कार्य करता है। गोलीय दर्पण वक्रित दर्पण का सबसे अधिक सामान्य उदाहरण है।

यदि किसी गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अवतल है, तो इसे अवतल दर्पण कहते हैं। यदि परावर्तक पृष्ठ उत्तल है, तो इसे उत्तल दर्पण कहते हैं (चित्र 11.12)।

चम्मच का भीतरी पृष्ठ अवतल दर्पण की भाँति कार्य करता है, जबकि इसका बाहरी पृष्ठ उत्तल दर्पण की भाँति कार्य करता है।

अवतल तथा उत्तल दर्पणों को गोलीय दर्पण क्यों कहते हैं? रबड़ की एक गेंद लीजिए तथा इसके एक भाग को चाकू अथवा आरी से काटिए [चित्र 11.13 (a)]।

सावधान ! गेंद काटने के लिए किसी अपने से बड़े व्यक्ति की सहायता लीजिए। कटी हुई गेंद का भीतरी पृष्ठ अवतल तथा बाहरी पृष्ठ उत्तल कहलाता है [चित्र 11.13 (b)]।

हम जानते हैं कि किसी बिंब का समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। आइए, देखें क्या यह अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंबों के लिए भी सही है।

क्रियाकलाप 11.6

चेतावनी : क्रियाकलाप 11.6 सूर्य के प्रकाश में किया जाना है। सावधान ! कभी भी सूर्य को या इसके प्रतिबिंब को सीधे मत देखिए, क्योंकि इससे आपकी आँख खराब हो सकती है। आप सूर्य के प्रतिबिंब को किसी पर्दे या दीवार पर बनाकर देख सकते हैं।

एक अवतल दर्पण लीजिए। इसके परावर्तक पृष्ठ को सूर्य की ओर रखकर पकड़िए। दर्पण से परावर्तित प्रकाश को एक कागज़ की शीट पर प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। कागज़ की शीट को तब तक आगे-पीछे (समायोजित) कीजिए, जब तक कि आपको एक तीक्ष्ण (स्पष्ट) चमकदार बिंदु प्राप्त न हो जाए (चित्र 11.14)। दर्पण तथा कागज़ की शीट को कुछ मिनट के लिए स्थिर रखिए। क्या कागज जलना प्रारंभ कर देता है? रखिए। क्या

यह चमकदार बिंदु, वास्तव में, सूर्य का प्रतिबिंब है। ध्यान दीजिए, यह प्रतिबिंब पर्दे (कागज़ की शीट) पर बन रहा है। पर्दे पर बनने वाले प्रतिबिंब को वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। स्मरण कीजिए कि क्रियाकलाप 11.2 में समतल दर्पण द्वारा बने मोमबत्ती की लौ के प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सका था। इस प्रकार के प्रतिबिंब को आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।

आइए, अब अवतल दर्पण द्वारा बने मोमबत्ती की लौ के प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त करने का प्रयत्न करें।

क्रियाकलाप 11.7

अवतल दर्पण को चित्र 11.15 में दिखाए अनुसार मेज़ पर रखे किसी स्टैंड (कोई प्रबंध, जो दर्पण को स्थिर रख सके का उपयोग किया जा सकता है) पर लगाइए। गत्ते की किसी शीट (लगभग 15 cm 10 cm) पर एक सफेद कागज़ चिपकाइए। यह एक पर्दे का कार्य करेगी। मेज़ पर एक जलती हुई मोमबत्ती दर्पण से लगभग 50 cm की दूरी पर रखिए। पर्दे पर मोमबत्ती की लौ का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। इसके लिए, पर्दे को दर्पण की ओर अथवा दर्पण से दूर उस समय तक सरकाइए, जब तक कि लौ का तीक्ष्ण प्रतिबिंब प्राप्त न हो जाए। ध्यान रखिए कि मोमबत्ती से दर्पण पर पड़ने वाले प्रकाश को पर्दा बाधा न पहुँचाए। क्या यह प्रतिबिंब वास्तविक है या आभासी है? क्या इसका साइज़ लौ जितना ही है?

अब मोमबत्ती को दर्पण की ओर लाइए तथा इसे इससे अलग-अलग दूरियों पर रखिए। प्रत्येक अवस्था में पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए।

अपने प्रेक्षणों को सारणी 11.1 में अंकित कीजिए। जब मोमबत्ती दर्पण के अत्यंत निकट है, क्या तब भी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त कर पाना संभव है (चित्र 11.16)?

सारणी 11.1 किसी अवतल दर्पण द्वारा बिम्ब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिम्ब

बिंब की दर्पण से दूरीबिंब से छोटा/बड़ाउल्टा/सीधावास्तविक/आभासी
50 cmबड़ासीधावास्तविक
40 cmबड़ासीधावास्तविक
30 cmबड़ासीधावास्तविक
20 cmबड़ासीधावास्तविक
10 cmछोटासीधावास्तविक
5 cmछोटासीधावास्तविक

हम देखते हैं कि अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब साइज़ में बिंब से छोटा या बड़ा हो सकता है। प्रतिबिंब वास्तविक अथवा आभासी भी हो सकता है।

अवतल दर्पणों का उपयोग अनेक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। संभवतः आपने डॉक्टरों को आँख, कान, नाक तथा गले का निरीक्षण करते समय अवतल दर्पण का उपयोग करते देखा होगा। दंत विशेषज्ञों द्वारा अवतल दर्पण का उपयोग दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए किया जाता है (चित्र 11.17)।

टॉर्च, कारों तथा स्कूटरों के अग्रदीप के परावर्तक पृष्ठ की आकृति भी अवतल हैं (चित्र 11.18)।

बूझो ने अपनी नई साइकिल की घंटी के चमकदार पृष्ठ में अपना प्रतिबिंब देखा। उसने देखा कि उसका प्रतिबिंब सीधा तथा साइज़ में छोटा है। उसे उत्सुकता है कि क्या घंटी भी एक प्रकार का गोलीय दर्पण है। क्या आप पहचान सकते हैं कि यह किस प्रकार का दर्पण है?

ध्यान दीजिए कि घंटी का परावर्तक पृष्ठ उत्तल है।

क्रियाकलाप 11.8

क्रियाकलाप 11.7 को अब अवतल दर्पण के स्थान पर उत्तल दर्पण लेकर दोहराइए (चित्र 11.19)। अपने प्रेक्षणों
को क्रियाकलाप 11.7 की भाँति सारणी में अंकित कीजिए।

क्या आप उत्तल दर्पण द्वारा बिंब की किसी भी दूरी के लिए वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? क्या आप बिंब से बड़े साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं?

क्या अब आप वाहनों के पार्श्व दर्पणों (साइड मिरर) में उपयोग किए जाने वाले दर्पणों को पहचान सकते हैं? ये उत्तल दर्पण हैं। उत्तल दर्पण अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकते हैं। अतः, ये चालकों को पीछे के अपेक्षाकृत अधिक क्षेत्र के वाहनों को देखने में सहायता करते हैं (चित्र 11.20)।

11.5 लेंसों द्वारा बने प्रतिबिंब

आपने आवर्धक लेंस (हैंडलेंस) देखा होगा। यह बहुत छोटे प्रिंट को पढ़ने के लिए उपयोग किया जाता है (चित्र 11.21)। संभवतः आपने इसका उपयोग कॉकरोच अथवा केंचुए के शरीर के भागों को देखने के लिए भी किया होगा। आवर्धक लेंस वास्तव में एक प्रकार का लेंस ही है।

लेंसों का उपयोग व्यापक रूप में चश्मों, दूरदर्शकों (दूरबीनों) तथा सूक्ष्मदर्शियों में किया जाता है। इस सूची में लेंसों के कुछ अन्य उपयोग जोड़ने का प्रयत्न कीजिए।

कुछ लेंस लीजिए। उन्हें स्पर्श करके महसूस कीजिए। क्या आप केवल स्पर्श करके कुछ अंतर देख पाते हैं? वे लेंस, जो किनारों की अपेक्षा बीच में मोटे प्रतीत होते हैं, उत्तल लेंस कहलाते हैं [चित्र 11.22 (a)]। जो किनारों की अपेक्षा बीच में पतले महसूस होते हैं, अवतल लेंस कहलाते हैं [चित्र 11.22 (b)]। ध्यान दीजिए कि लेंस पारदर्शी होते हैं तथा इनमें से प्रकाश गुज़र सकता है।

चेतावनी : लेंस से सूर्य को या किसी चमकीले प्रकाश को देखना खतरनाक है। आपको उत्तल लेंस से सूर्य के प्रकाश को अपने शरीर के किसी भाग पर फ़ोकसित न करने के बारे में भी सावधानी बरतनी चाहिए।

आइए, लेंसों से खेलें।

क्रियाकलाप 11.9

एक उत्तल लेंस अथवा आवर्धक लेंस लीजिए। इसे सूर्य की किरणों के मार्ग में रखिए। चित्र 11.23 में दर्शाए अनुसार एक कागज़ की शीट रखिए। लेंस तथा कागज़ के बीच की दूरी को उस समय तक समायोजित कीजिए, जब तक कि आपको कागज़ पर एक चमकदार बिंदु प्राप्त न हो जाए। इस स्थिति में लेंस तथा कागज़ को कुछ मिनट के लिए स्थिर रखिए। क्या कागज़ जलना प्रारंभ कर देता है?

अब उत्तल लेंस को अवतल लेंस से बदल लीजिए। क्या अब भी आपको कागज़ पर चमकदार बिंदु दिखाई देता है? इस बार आपको चमकदार बिंदु क्यों नहीं प्राप्त हो रहा है?

हमने दर्पणों के लिए देखा है कि बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए प्रतिबिंबों की प्रकृति तथा साइज़ बदलते हैं। क्या यह लेंसों के लिए भी मान्य है?

सामान्यतः उत्तल लेंस, उस पर पड़ने वाले (आपतित) प्रकाश को अभिसरित (अंदर की ओर मोड़ना) कर देता है [चित्र 11.24 (a)]। इसीलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते हैं। इसके विपरीत, अवतल लेंस आपतित प्रकाश को अपसरित (बाहर की ओर मोड़ना) करता है। अतः इसे अपसारी लेंस कहते हैं [चित्र 11.24 (b)]।

क्रियाकलाप 11.10

एक उत्तल लेंस लीजिए तथा इसे मेज़ पर रखे एक स्टैंड पर लगाइए, जैसा कि आपने अवतल दर्पण में किया था। मेज़ पर एक जलती हुई मोमबत्ती को लेंस से लगभग 50 cm की दूरी पर रखिए (चित्र 11.25)।

लेंस के दूसरी ओर रखे कागज़ के पर्दे पर मोमबत्ती की लौ का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। आपको पर्दे को लेंस की ओर या लेंस से दूर ले जाना होगा, जिससे कि आपको लौ का स्पष्ट (तीक्ष्ण) प्रतिबिंब प्राप्त हो जाए। आपको किस प्रकार का प्रतिबिंब प्राप्त होता है? क्या यह वास्तविक है या आभासी ?

अब लेंस से मोमबत्ती की दूरी बदलिए (चित्र 11.25)। प्रत्येक अवस्था में कागज़ के पर्दे को सरकाकर, इस पर मोमबत्ती की लौ का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। अवतल दर्पण के लिए किए गए क्रियाकलाप 11.7 के अनुसार अपने प्रेक्षणों को सारणीबद्ध कीजिए।

क्या बिंब की किसी स्थिति के लिए आपको ऐसा प्रतिबिंब प्राप्त होता है, जो सीधा तथा आवर्धित हो (चित्र 11.26)? क्या इस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है? क्या यह वास्तविक है या आभासी है? ऐसी स्थिति में ही उत्तल लेंस को आवर्धित लेंस की भाँति उपयोग किया जाता है।

इसी प्रकार अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंबों का अध्ययन कीजिए। आप पाएँगे कि अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब सदैव आभासी, सीधे तथा बिंब के साइज़ से छोटे हैं (चित्र 11.27)।

11.6 सूर्य का प्रकाश – श्वेत अथवा रंगीन ?

क्या आपने आकाश में कभी इंद्रधनुष देखा है? आपने ध्यान किया होगा कि यह प्रायः वर्षा के पश्चात् दिखलाई देता है, जब सूर्य आकाश में क्षितिज के पास होता है। इंद्रधनुष आकाश में अनेक रंगों के एक बड़े धनुष (आर्क) के रूप में दिखलाई देता है (चित्र 11.28)।

इंद्रधनुष में कितने वर्ण (रंग) होते हैं? मोटे तौर पर, इंद्रधनुष में सात वर्ण होते हैं। ये हैं- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी तथा बैंगनी। आपने देखा होगा कि जब आप साबुन के बुलबुले बनाते हैं, तो वे भी रंगीन दिखलाई देते हैं। इसी प्रकार, जब प्रकाश किसी सीडी (CD) से परावर्तित होता है, तो आपको अनेक वर्ण दिखाई देते हैं (चित्र 11.29)।

इन सब अनुभवों के आधार पर क्या हम यह कह सकते हैं कि सूर्य का प्रकाश विभिन्न वर्णों का मिश्रण है? आइए, जाँच करें। 

क्रियाकलाप 11.11

काँच का एक प्रिज़्म लीजिए। किसी अंधेरे कमरे की खिड़की के छोटे छिद्र से सूर्य के प्रकाश का एक पतला किरण पुंज प्रिज़्म के एक फलक पर डालिए। प्रिज़्म के दूसरे फलक से बाहर निकलने वाले प्रकाश को सफेद कागज़ की एक शीट अथवा सफेद दीवार पर गिरने दीजिए। आप क्या देखते हैं? क्या आप इंद्रधनुष जैसे ही वर्ण यहाँ भी देख पाते हैं (चित्र 11.30)? यह दर्शाता है कि सूर्य के प्रकाश में सात वर्ण विद्यमान हैं। ऐसे प्रकाश को श्वेत प्रकाश भी कहते हैं। श्वेत प्रकाश के वर्णों को पहचानने का प्रयत्न कीजिए तथा इनके नाम अपनी नोटबुक में लिखिए।

क्या हम इन सात वर्षों को मिलाकर श्वेत प्रकाश कर सकते हैं? प्राप्त कर आइए, प्रयत्न करें।

क्रियाकलाप 11.12

लगभग 10 cm व्यास की गत्ते की एक वृत्ताकार डिस्क लीजिए। इस डिस्क को सात खंडों में बाँट लीजिए। चित्र 11.31 (a) में दर्शाए अनुसार इन खंडों को इंद्रधनुष के सात वर्णों से पेंट कीजिए। आप इन खंडों पर विभिन्न वर्णों के कागज़ भी चिपका सकते हैं। डिस्क के केंद्र पर एक छोटा छिद्र बनाइए। डिस्क को एक बॉल पेन के रीफ़िल की नोक पर ढीले से लगाइए। सुनिश्चित कीजिए कि डिस्क स्वतंत्रतापूर्वक घूर्णन कर (घूम) सके [चित्र 11.31 (a)]। डिस्क को दिन के प्रकाश में घुमाइए। जब डिस्क तेज़ी से घूमती है, तो वर्ण आपस में मिल जाते हैं तथा डिस्क श्वेत सी प्रतीत होती है [चित्र 11.31 (b)]। इस डिस्क को सामान्यतः न्यूटन की डिस्क कहते हैं।

पहेली को एक अद्वितीय विचार आया है। उसने जिस पर इंद्रधनुष के सातों वर्णों को पेंट किया गया श्वेत दिखाई देता है। एक वृत्ताकार डिस्क की सहायता से एक छोटा सा लड्डू बनाया, है (चित्र 11.32)। जब लट्टू घूर्णन करता है, तो वह लगभग स्वेत दिखाई देता है।

आपने क्या सीखा

• प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता है।

• कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण की भाँति कार्य करती है।

• जो प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता है।

• जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त न किया जा सके, उसे आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।

• समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा होता है। यह आभासी होता है, तथा बिंब के समान साइज़ का होता है। प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी कि दर्पण के सामने बिंब की दूरी होती है।

• दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में, बिंब का वाम भाग प्रतिबिंब के दक्षिण भाग की भाँति दिखाई देता है तथा बिंब का दक्षिण भाग प्रतिबिंब के वाम भाग की भाँति दिखाई देता है।

• अवतल दर्पण वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता है। जब बिंव को दर्पण के अत्यंत निकट रखते है, तो प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता है।

• उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा होता है। उत्तल लेंस वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता है। जब बिंब लेंस के अत्यंत निकट रखा जाता है, तो बनने वाला प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता है। जब उत्तल लेंस को, वस्तुओं को आवर्धित करके देखने के लिए उपयोग किया जाता है, तो उसे आवर्धक लेंस कहते हैं।

• अवतल लेंस सदैव सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

• श्वेत प्रकाश सात वर्षों का मिश्रण है।

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अभ्यास

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(क) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर न प्राप्त किया जा सके, वह आभासी कहलाता है।

(ख) यदि प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा साइज़ में छोटा हो, तो यह किसी उत्तल दर्पण द्वारा बना होगा।

(ग) यदि प्रतिबिंब सदैव बिंब के साइज का बने, तो दर्पण समतल होगा।

(घ) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वह वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता है।

(च) अवतल लेंस द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।

2. निम्नलिखित वक्तव्य ‘सत्य’ है अथवा ‘असत्य’

(क) हम उत्तल दर्पण से आवर्धित तथा सीधा प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं। (असत्य)

(ख) अवतल लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है। (सत्य)

(ग) अवतल दर्पण से हम वास्तविक, आवर्धित तथा उल्टा प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं। (सत्य)

(घ) वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। (असत्य)

(च) अवतल दर्पण सदैव वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। (सत्य)

3. कॉलम A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B के एक अथवा अधिक कथनों से कीजिए-

कॉलम Aकॉलम B
समतल दर्पणआवर्धक लेंस की भाँति उपयोग होता है।
उत्तल दर्पणअधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकता है।
उत्तल लेंसदंत चिकित्सक दांतों का आवर्धित प्रतिबिंब देखने के लिए उपयोग करते हैं।
अवतल दर्पणउल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
अवतल लेंसप्रतिबिंब सीधा तथा बिंब के साइज का प्रतिबिंब बनाता है।
सीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

Ans.

कॉलम Aकॉलम B
समतल दर्पणप्रतिबिंब सीधा तथा बिंब के साइज का प्रतिबिंब बनाता है।
उत्तल दर्पणअधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकता है।
आवर्धक लेंस की भाँति उपयोग होता है।
उत्तल लेंसउल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
अवतल दर्पणदंत चिकित्सक दांतों का आवर्धित प्रतिबिंब देखने के लिए उपयोग करते हैं।
अवतल लेंससीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

4. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के अभिलक्षण लिखिए।
Ans.
समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के अभिलक्षणः

• प्रतिबिम्ब सीधा व वस्तु के आकार का होता है।
• प्रतिबिम्ब आभासी होता है एवं दर्पण के अन्दर बनता है।
• बने प्रतिबिम्ब पार्श्व परिवर्तित होते हैं।
• दर्पण से वस्तु जितनी दूरी पर होती है, उसका प्रतिबिम्ब दर्पण के अन्दर उतनी ही दूरी पर बनता है।

5. अँग्रेजी या अन्य कोई भाषा, जिसका आपको ज्ञान है, की वर्णमाला के उन अक्षरों का पता लगाइए, जिनके समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब बिल्कुल अक्षरों के सदृश्य लगते हैं। अपने परिणामों की विवेचना कीजिए।
Ans.
अक्षर, समतल दर्पण में जिनके प्रतिबिम्ब अक्षरों के समान लगते हैं C, D, E, H, I, K, O और X. इन अक्षरों के पार्श्व में कोई अदला-बदली नहीं हुई है तथा प्रतिबिम्ब उल्टा नहीं दिखाई देता।

6. आभासी प्रतिबिंब क्या होता है? कोई ऐसी स्थिति बताइए, जहाँ आभासी प्रतिबिंब बनता हो।
Ans.
जिस प्रतिबिंब को परदे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है उसे आभासी प्रतिबिंब कहते हैं। समतल दर्पण, उत्तल दर्पण और अवतल लेंस द्वारा हमेशा आभासी प्रतिबिंब बनता है।

7. उत्तल तथा अवतल लेंसों में दो अंतर लिखिए।
Ans.

उत्तल लेंसअवतल लेंस
यह लेंस प्रकाश किरणों को एक बिन्दु पर एकत्रित करता है।अवतल लेंस बीच में पतला तथा किनारों पर मोटा होता है।
उत्तल लेंस बीच में मोटा तथा किनारों पर पतला होता है।यह लेंस प्रकाश किरणों को फैलाता है।

8. अवतल तथा उत्तल दर्पणों का एक-एक उपयोग लिखिए?
Ans.
अवतल दर्पण का उपयोगः दन्त विशेषज्ञों द्वारा अवतल दर्पण का उपयोग दाँतों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिए किया जाता है।

उत्तल दर्पण का उपयोगः ट्रकों, बसों तथा कारों में ड्राइवर सीट के पास उत्तल दर्पण लगाते हैं जिससे कि ड्राइवर अधिक क्षेत्र में फैली हुई वस्तुओं के प्रतिबिम्ब एक साथ देख सकें

9. किस प्रकार का दर्पण वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता है?
Ans.
अवतल दर्पण वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकता है।

10. किस प्रकार का लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है?
Ans.
अवतल लेंस सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बना सकता है।

प्रश्न संख्या 11 से 13 में सही विकल्प का चयन कीजिए-

11. बिंब से बड़े साइज का आभासी प्रतिबिंब बनाया जा सकता है?

(i) अवतल लेंस द्वारा

(ii) अवतल दर्पण द्वारा

(iii) उत्तल दर्पण द्वारा

(iv) समतल दर्पण द्वारा

Ans. अवतल दर्पण द्वारा

12. डेविड अपने प्रतिबिंब को समतल दर्पण में देख रहा है। दर्पण तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी 4m है। यदि वह दर्पण की ओर 1m चलता है, तो डेविड तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी होगी-

(i) 3 m

(ii) 5 m

(iii) 6 m

(iv) 8 m

Ans. 6 m

समतल दर्पण के मामले में, वस्तु और दर्पण के बीच की दूरी (d₁) छवि और दर्पण के बीच की दूरी (d2) के समान होती है।

दिया गया,

दर्पण और डेविड के प्रतिबिम्ब के बीच की दूरी,d₂  = 4 m
इसलिए, d₁ = d₂ = 4 m
यदि डेविड दर्पण की ओर 1 मीटर चलता है, तो d₁ = 4 – 1 = 3 m
फिर से, d₁ = d₂ = 3 m
इसलिए, डेविड और उसकी छवि के बीच की दूरी d₁ + d₂ = 3 + 3 = 6 m है

13. एक कार का पश्च दृश्य दर्पण समतल दर्पण है। ड्राइवर अपनी कार को 2 m/s की चाल से ‘बैक’ करते समय पश्च दृश्य दर्पण में अपनी कार के पीछे खड़े (पार्क किए हुए) किसी ट्रक का प्रतिबिंब देखता है। ड्राइवर को ट्रक का प्रतिबिंब जिस चाल से अपनी ओर आता प्रतीत होगा , वह है –

(1) 1 m/s

(ii) 2 m/s

(iii) 4 m/s

(iv) 8 m/s

Ans. 4 m/s

कार की गति 2 मीटर/सेकेंड है जिसका अर्थ है कि कार 2 मीटर प्रति सेकेंड की गति से ट्रक के पास आ रही है। कार और ट्रक के बीच की दूरी दोगुनी दर से घटेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रक की छवि समान समय में कार द्वारा तय की गई दूरी की दुगुनी दूरी तय करेगी। इसलिए, ट्रक की छवि 2 x 2 = 4 m/s की गति से चालक के पास आती हुई दिखाई देगी

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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