पेशी-तंत्र (Muscular System)

हमारे शरीर में अस्थि-तंत्र तथा बाह्य त्वचा के अधिकांश भाग मांस-पेशियों (Muscles) से निर्मित होता है। पेशियाँ पेशी कोशिकाओं (Muscle cells) द्वारा निर्मित होती है। यह एक संकुचनशील (contractile) ऊतक है, जिसकी कोशिकायें लम्बे तन्तुओं के रूप में होती हैं। संकुचनशीलता, जीवद्रव्य का प्रमुख लक्षण है जो पेशीय ऊतक की कोशिकाओं में सर्वाधिक होता है।* जन्तुओं की एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने एवं अंगों को हिलाने की क्षमता (Locomotion & Movement) पेशी ऊतक के कारण ही होती है। पेशी कोशिकाएँ भ्रूण के मीसोडर्म से बनते हैं। * इसका अपवाद आँखों की आइरिस एवं सिलियरी काय की पेशियां हैं, जो भ्रूण के एक्टोडर्म से बनती हैं। ये शरीर का औसतन 40% से 50% भाग बनाते हैं। पेशी कोशाओं के बीच-बीच में संयोजी ऊतक होता है। मनुष्य में कुल 639 पेशियां पायी जाती हैं* जिसमें सर्वाधिक पेशियां पीठ (180 पेशियाँ) में पाई जाती हैं।* पेशियाँ तीन प्रकार की होती हैं-

(1) रेखित पेशियाँ (Straited Muscles)
(2) अरेखित पेशियाँ (Unstraited Muscles)
(3) हृदयी पेशियाँ (Cardiac Muscles)

➤ रेखित पेशियाँ (Straited Muscles)

शरीर की अधिकांश पेशियाँ रेखीय होती हैं। मानव शरीर 400 रेखीय पेशियाँ पायी जाती हैं। ये प्रायः तंत्रिका तंत्र के चेतन नियंत्रण में मनुष्य की इच्छानुसार कार्य करती हैं। अतः इन्हें ऐच्छिक पेशियाँ (Voluntary muscles) भी कहते हैं। अधिकांश रेखीय पेशियाँ अपने दोनों सिरों पर टेण्डन (tendon) नामक पतली एवं मजबूत डोरी से अस्थियों से जुड़ी होती हैं। अतः इन्हें कंकालीय पेशियाँ (Skeletal muscles) भी कहते हैं। प्रायः ऐच्छिक पेशियाँ जोड़ी में अस्थि से सम्बन्धित होती हैं। आकुंचनी पेशी (Flexor muscle) के संकुचन से अंग मुड़ता है तथा प्रसारिणी पेशी (Extensor muscle) के संकुचन के फलस्वरूप अंग फैलकर सीधा हो जाता है। अतः इन्हें दैहिक पेशियों (So- matic muscles) की उपमा दी जाती है। ये पेशियाँ अग्रपाद, पश्चपाद तथा पीठ आदि में पायी जाती है। प्रत्येक पेशीय तन्तु बहुकेन्द्रिकीय, लम्बे व बेलनाकार होते हैं।

➤ अरेखित पेशियाँ (Unstraited muscles)

अरेखित पेशियाँ खोखले आंतरांगों (आहार नाल, मूत्राशय, पित्ताशय, श्वासनाओं, गर्भाशय, योनि, जनन एवं रुधिरवाहिनियों आदि) की दीवार, शिश्न, प्लीहा, नेत्रों, त्वचा की डर्मिस आदि में होती हैं। इनका अस्थियों से कोई सम्बन्ध नहीं होता अर्थात् ये अनैच्छिक (Involuntory muscles) पेशियाँ होती हैं। इस प्रकार की पेशियाँ एनली, स्पेन्डल आकृति तथा एक केन्द्रक वाली होती है। अनैच्छिक होने के कारण इनमें थकान नहीं होता है।

हृदय पेशियाँ (Cardiac Muscles)

ये पेशियाँ केवल हृदय की मांसल भित्तियों में पायी जाती हैं और शाखान्वित होती हैं। ये शाखायें आपस में मिलकर एक जाल का निर्माण करती हैं। पेशियों में एक-एक केन्द्रक उपस्थित होता है एवं ये चारों तरफ से सार्कोलेमा द्वारा घिरी होती हैं। इन पेशियों में रेखित व अरेखित पेशियों के गुण पाये जाते हैं। एक केन्द्रक दूसरे केन्द्रक से अन्तर्विष्ट पट्टियों (Intercalated discs) द्वारा अलग रहते हैं। इन पेशियों में स्वतः ही संकुचन निरन्तर एक ही लय (rhythm) में जीवन के आरम्भ से मृत्यु तक चलता रहता है। ये पेशियाँ अनैच्छिक एवं कभी न थकने वाली होती हैं।

मांस पेशी की संरचना (Structure of Muscles)

प्रत्येक पेशी कोशिका (Muscle cell) सारकोलेमा (Sarcolemma) नामक आवरण से घिरी होती है। इसके कोशिका – द्रव्य को सरकोप्लाज्म (Sarcoplasm) कहते हैं। इसमें कई अण्डाकार और चपटे-से केन्द्रक होते हैं। अतः प्रत्येक पेशी तन्तु एक अकेली कोशा नहीं, वरन् एक बहुकोशीय रचना होती है। इनमें सारकोप्लाज्मिक जाल (sarcoplasmic reticulum) तथा माइटोकॉण्ड्रिया होते हैं। – इनके जीवद्रव्य, सरकोप्लाज्म में अनेक तन्तु होते हैं, जिन्हें मायोफाइब्रिल (myofibril) कहते हैं। ये पेशी में लम्बवत् स्थित होते हैं।

• प्रत्येक मायोफाइब्रिल में काली तथा श्वेत पट्टियां होती हैं। श्वेत पट्टियों को आइसोट्रॉपिक पट्टिका (isotropic band) या I-Bank कहते हैं।

श्वेत पट्टिकाओं के बीच में एकान्तरित काली पट्टिकाएँ भी होती हैं, जिन्हें A-Band कहते हैं। प्रत्येक श्वेत पट्टिका के ठीक मध्य में भी एक रेखा है जिसे हेन्सन्स रेखा (Hensen’s line) या H- Band कहते हैं।

• प्रत्येक रेखित पेशी तन्तु में पतले ऐक्टिन तन्तु (actin fibre) तथा मोटे मायोसिन तन्तु (myosin filament) होते हैं। ये तन्तु । तथा A-Bands में लम्बवत् व्यवस्थित रहते हैं। ऐक्टिंन तथा मायोसिन तन्तु एक-दूसरे से एकान्तरित रूप से व्यवस्थित होते हैं।

• स्लाइडिंग तन्तु मत (Sliding Filament theory) के अनुसार, ऐक्टिन तन्तु मायोसिन तन्तु के ऊपर फिसल कर A-Band की गहराई में पहुंच जाते हैं। इसके फलस्वरूप ऐक्टिन तथा मायोसिन के मध्य स्थापित क्रॉस बन्धनी टूटते हैं और पुनः व्यवस्थित होते हैं। जब मांसपेशी उद्दीपित होती है तब मायोसिन अणुओं में उपस्थित ATPase एन्जाइम द्वारा ATP का विघटन होता है। इससे ऐक्टिन तथा मायोसिन के बीच होने वाली प्रतिक्रिया के लिए ऊर्जा उपलब्ध हो जाती है।

थकावट (Fatigue) यदि पेशियों को कुछ समय तक निरन्तर आकुंचन करना पड़े तो उनमें आकुंचन की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। अन्त में, लैक्टिक अम्ल के अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण, इनमें आकुंचन नहीं हो पाता। इसी को थकावट कहते हैं। बाद में जब विश्राम किया जाता है तो धीरे-धीरे लैक्टिक अम्ल ऑक्सीकृत होकर पाइरुविक अम्ल में बदल जाता है। फलतः थकावट समाप्त हो जाती है।*

पेशियों का तुलनात्मक विवरण (Comparative Account of Muscles)

रेखित पेशियाँ (Straited Muscles)अरेखित पेशियाँ (Unstraited Muscles)हृदयी पेशियाँ (Cardiac Muscles)
• अस्थियों के साथ जुड़ी रहती हैं।• आंतरांगों में पाई जाती हैं।• हृदय में पाई जाती हैं।
• ऐच्छिक पेशियाँ हैं।• अनैच्छिक पेशियाँ हैं।• अनैच्छिक पेशियाँ हैं।
• इनके पेशीय तन्तु लम्बे व बेलनाकार होते हैं।• इनमें लम्बे व तर्काकार तन्तु पाये जाते हैं।• इनमें लम्बे, बेलनाकार व शाखान्वित तन्तु पाये जाते हैं।
• प्रत्येक पेशीय तन्तु में अनेक केन्द्रक पाये जाते हैं।• प्रत्येक पेशी तन्तु में एक केन्द्रक पाया जाता है।• प्रत्येक पेशी तन्तु में एक केन्द्रक पाया जाता है।
• धारियां पायी जाती हैं।• धारियां अनुपस्थित हैं।• धारियाँ उपस्थित हैं।
• थकान महसूस करती हैं।• थकान नहीं होती है।• थकान नहीं होती है।

पेशी विकृति (Myopathy)

➤ पेशीय रोग (Muscles Diseases)

कंकाल पेशियों (रेखित) का यह रोग उनमें मेटाबोलिज्म सम्बन्धी एक आनुवांशिक विकार के कारण होता है। इसका मुख्य लक्षण पेशी की प्रगामी दुर्बलता है। कभी-कभी पेशी तन्तु वसा द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है।

➤ पेशी उद्वेष्ट (Cramp)

पेशी का अनैच्छिक, पीड़ामय तथा स्थानिक संकुचन क्रैम्प कहलाता है। प्रायः पेशी को तानने पर इसका शमन हो सकता है। रात के समय तथा अत्यधिक व्यायाम के पश्चात स्वस्थ व्यक्तियों में क्रैम्प हो सकते हैं। एथलेटिक आदि खेलों के खिलाड़ी इससे पीड़ित होते रहते हैं।

➤ हार्निया (Hernia)

डायफ्राम भी एक पेशी है, जिसके कुछ दोषों के फलस्वरूप जन्मजात हर्निया प्रकट हो सकते हैं। यह पेशी दुर्बलता के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। इस दशा में जब रोगी झुकता है, कोई बोझ उठाता है अथवा लेटता है तो ग्रासनली का निम्न भाग तथा आमाशय का ऊपरी भाग वक्ष में खिसक जाते हैं।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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