यौन-संचारित रोग
लैंगिक क्रिया या यौन सम्बन्धों के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई प्रकार के रोग फैलते हैं। जिसमें जीवाणु, प्रोटोजोअन्स तथा वाइरस द्वारा …
लैंगिक क्रिया या यौन सम्बन्धों के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई प्रकार के रोग फैलते हैं। जिसमें जीवाणु, प्रोटोजोअन्स तथा वाइरस द्वारा …
अपनी जाति या वंश की निरंतरता को बनाये रखने के लिए प्रत्येक जीवधारी अपने ही समान जीवों को पैदा करता है, जीवों में होने वाली …
ऐड्रीनल ग्रन्थियाँ शरीर को बाहरी एवं भीतरी संकटावस्थाओं का सामना करने के लिए तैयार करके एक “रासायनिक सुरक्षा तन्त्र (chemical defence mechanism)” प्रदान करती है। …
अन्तः स्त्रावी तन्त्र तथा इसकी कार्य-प्रणाली के अध्ययन को अन्तःस्रावी विज्ञान या ऐण्डोक्राइनोलोजी कहते हैं। तन्त्रिका तन्त्र से इसका घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। इसीलिए, अब …
मानव शरीर में वातावरण से सूचना एवं ज्ञान प्राप्त करने के लिए पांच संवेदांग अथवा ज्ञानेन्द्रियाँ (Sensory Organs) निम्नवत होते हैं- • नेत्र (Eyes)• कर्ण …
प्रेरणा-संवहन के लिए विशिष्टीकृत कोशाओं को तंत्रिका कोशाएँ (Neurons) कहते हैं। न्यूरॉन्स भ्रूण की एक्टोडर्म से बनती हैं। ये तंत्रिकीय ऊतक की रचनात्मक एवं क्रियात्मक …
इस लेख के माध्यम से आज आपको सामान्य हृदय रोग के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। यह जानकारी हृदय रोग के लिए प्रयाप्त है। आपको …
लसिका एक रंगहीन तरल पदार्थ है जो ऊतकों एवं रुधिर वाहिनियों के बीच के रिक्त स्थान में पाया जाता है। यह रुधिर प्लाज्मा का ही …
मानव (तथा उच्च श्रेणी के जन्तुओं) में पदार्थों के परिवहन के लिए एक पूर्ण विकसित परिसंचरण-तंत्र (circulatory system) होता है। इसके प्रमुख अवयव निम्नवत् हैं- …
हमारे शरीर में अस्थि-तंत्र तथा बाह्य त्वचा के अधिकांश भाग मांस-पेशियों (Muscles) से निर्मित होता है। पेशियाँ पेशी कोशिकाओं (Muscle cells) द्वारा निर्मित होती है। …