एक तिनका : अध्याय 9
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, …
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, …
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।।।। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।रहिमन मछरी नीर …
सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक स बड़ा साहस करने का दिन आया। इस दिन उसे यासुकी-चान से मिलना …
आकाश का साफ़ा बाँधकरसूरज की चिलम खींचताबैठा है पहाड़,घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,पास ही दहक रही हैपलाश के जंगल की अँगीठीअँधकार दूर पूर्व मेंसिमटा …
सड़क। रात का समय। समुद्र के सामने फुटपाथ। वहीं पर एक स बिजली का खंभा। एक पेड़। एक लैटरबक्स। दूसरी ओर धीमे प्रकाश में एक …
बहुत ही मीठे स्वरों के साथ वह गलियों में घूमता हुआ कहता- “बच्चों को बहलानेवाला, खिलौनेवाला।” इस अधूरे वाक्य को वह ऐसे विचित्र, किंतु मादक …
कठपुतलीगुस्से से उबलीबोली-ये धागेक्यों हैं मेरे पीछे-आगे?इन्हें तोड़ दो;मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। सुनकर बोलीं और-औरकठपुतलियाँकि हाँ,बहुत दिन हुएहमें अपने मन के छंद छुए। …
अभी तक मैंने उन्हें दूर से देखा था। बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में अ खोई हुई लगती थीं। संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत …
हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबौरीकनक-कटोरी की मैदा …
यदि आप मानचित्र 1 और 2 को ध्यानपूर्वक देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान उपमहाद्वीप में कुछ विशेष रूप …