राजपूत वंश | Rajpoot Vansh | 2024

राजपूत वंश

इस लेख में राजपूत वंश की उतपत्ति तथा इसके विभन्न राजवंशों के बारे में बताया गया है ,तो आइये विस्तार से इनके बारे में जानते हैं।

गहड़वाल वंश

• 1080-85 ई. में चन्द्रदेव ने राष्ट्रकूट शासक गोविन्द को हराकर गहड़वाल वंश की स्थापना की।

• गहड़वाल शासकों को अन्य नाम काशी नरेश नाम से जाना जाता है।

• गहड़वालों की राजधानी कन्नौज थी।

• चन्द्रदेव ने मुस्लिमों से तुरुष्कदण्ड नामक कर वसूल किया।

• गहड़वाल वंश का महानतम् शासक गोविन्दचन्द्र था।

• गोविन्दचन्द्र का मंत्री लक्ष्मीधर था।

• लक्ष्मीधर ने ‘कृत्यकल्पतरू’ नामक ग्रन्थ की रचना की।

• गहड़वाल वंश का अंतिम शासक जयचन्द्र था।

• जयचन्द्र 1170 ई. में गद्दी पर बैठा।

• जयचन्द्र की पुत्री संयोगिता का अपहरण पृथ्वीराज चौहान ने किया।

• 1193-94 ई. में चंदावर के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने जयचन्द को पराजित कर उसकी हत्या कर दी।

• संस्कृत का प्रसिद्ध कवि ‘लक्ष्मीधर’ जयचन्द के दरबार में रहता था।

• श्रीहर्ष ने ‘नैषध चरित’ ग्रन्थ की रचना की।

• जयचन्द्र का पुत्र हरिश्चन्द्र मोहम्मद गोरी के अधीन शासन करता था।

चौहान वंश

• चौहान वंश की स्थापना वासुदेव ने छठी सदी के अंत में अजमेर के निकट शाकम्भरी में की।

• वासुदेव ने अपनी राजधानी अहिक्षत्र में स्थापित की।

• चौहान वंश का पहला पूर्ण स्वतन्त्र शासक वाक्पतिराज प्रथम हुआ।

• राजस्थान के अजमेर नगर की स्थापना अजयराज ने की।

• सुल्तान महमूद की सेना को अर्णोराज ने अजमेर के निकट हराया।

• अर्णोराज की हत्या उसके पुत्र जगदेव ने की।

• अजयराज जैन धर्म का विरोधी था।

• विग्रहराज तृतीय की रचना का नाम ‘हरिकेलि’ नाटक है।

• विग्रहराज तृतीय का दरबारी कवि सोमदेव था।

• चौहान वंश का सबसे शक्तिशाली राजा विग्रहराज चतुर्थ (1153-63) था। इसने तोमर राजाओं का हराकर दिल्ली पर अधिकार किया।

• ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद शुरू में विग्रहराज चतुर्थ द्वारा निर्मित एक विद्यालय था।

• सोमदेव ने ‘ललित विग्रह’ ग्रन्थ की रचना की।

• चौहान वंश का अंतिम शासक पृथ्वीराज तृतीय था।

• चंदेल शासक परमार्दिदेव को पृथ्वीराज तृतीय ने हराया था, जिसमें आल्हा एवं ऊदल मारे गये थे।

• 1191 ई. में पृथ्वीराज तृतीय एवं मोहम्मद गोरी के बीच तराईन का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें मोहम्मद गोरी की हार हुई।

•1192 ई. में पृथ्वीराज एवं मुहम्मद गोरी के बीच तराईन का द्वितीय युद्ध हुआ, जिसमें पृथ्वीराज चौहान की हार हुई।

• मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविन्द को अपनी अधीनता में अजमेर का शासक बनाया।

• पृथ्वीराज चौहान का दरबारी कवि चन्दरबरदाई था।

• चन्दरबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ नामक ग्रन्थ की रचना की।

• प्राचीन भारत का प्रथम हिन्दी कवि चन्दरबरदाई को कहा जाता है।

• हिन्दी भाषा का प्रथम महाकाव्य ‘पृथ्वीराज रासो’ को कहा जाता है।

• राजकवि जयानक द्वारा ‘पृथ्वीराज विजय’ की रचना की गई।

• रणथम्भौर के जैन मंदिर का शिखर पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था।

परमार वंश

उपेन्द्रसियकमुंजसिन्धुराजभोज

• परमार वंश का संस्थापक उपेन्द्र (कृष्णराज) था।

• परमारों की प्रारम्भिक राजधानी उज्जैन थी। जबकि बाद में परमारों की राजधानी धारा या धार बन गई।

• परमार वंश का प्रथम स्वतन्त्र एवं प्रतापी शासक सियक था।

• प्रारम्भिक परमार राष्ट्रकूटों के सामन्त थे।

• हूणों को परमार शासक मुञ्ज ने हराया था।

• मुञ्ज ने कल्याणी के चालुक्य शासक तैल द्वितीय को छः बार पराजित किया था।

• मुञ्ज की राजसभा में ‘नवसहसांक चरित’ के लेखक पद्मगुप्त परिमल, ‘दशरूपक’ के लेखक धनंजय, तथा ‘यशोरूपावलोक’ के रचयिता धनिक विद्यमान थे।

• मुञ्ज का छोटा भाई सिन्धुराज 995 ई. में गद्दी पर बैठा।

• सिन्धुराज ने कुमार नारायण एवं साहसांक की उपाधि धारण की थी।

• मुञ्ज ने श्री वल्लभ, पृथ्वी वल्लभ एवं अमोघवर्ष उपाधि धारण की थी।

• धार नगरी को भोज परमार ने स्थापित किया एवं उसे अपनी राजधानी बनाई।

• भोजपुर शहर तथा भोजसागर तालाब भोज परमार ने बनवाया।

• भोज परमार ने केदारेश्वर, सोमेश्वर, सोमनाथ, रामेश्वर तथा सुंडार आदि मंदिरों का निर्माण कराया।

• भोज को ‘कविराज’ उपनाम से जाना जाता है। भोज ने अपनी राजधानी में सरस्वती मंदिर का निर्माण करवाया था।

• भोज की रचनायें ‘समारांग सूत्राधार’, ‘सरस्वती कण्ठाभरण’, ‘सिद्धान्त संग्रह’ एवं ‘आयुर्वेद सर्वस्व’ हैं।

• भोज के समय साहित्य का मक्का धारा को कहा जाता था।

• मालवा 1305 ई. में, अलाउद्दीन खिलजी द्वारा दिल्ली सल्तनत का अंग बना।

चंदेल वंश

• चंदेल वंश के अभिलेख बाँदा, कालिंजर, खजुराहो, महोबा तथा अजयगढ़ से मिले हैं।

• चंदेल वंश का संस्थापक नन्नुक था।

• चन्देलों की राजधानी खजुराहो थी। प्रारंभिक राजधानी कालिंजर (महोबा) थी।

• खजुराहो के प्रसिद्ध चतुर्भुज मन्दिर का निर्माण यशोवर्मन ने कराया।

• यशोवर्मन ने अपनी राजधानी महोबा बनाई।

• प्रतिहार राजा देवपाल को यशोवर्मन ने हराया तथा विष्णु प्रतिमा छीनकर लाया।

• चंदेल वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा धंगदेव हुआ।

• धंगदेव ने प्रयाग संगम में जल समाधि ले ली थी।

• धंगदेव ने विश्वनाथ, वैद्यनाथ तथा जिन्ननाथ मन्दिरों का निर्माण कराया।

• चंदेल शासकों द्वारा बनवाये गये मन्दिर खजुराहो में है।

• शाही वंश की सहायता के लिये महमूद गजनवी के विरुद्ध गंडदेव ने सेना भेजी।

• गंडदेव ने अपने लड़के विद्याधर को प्रतिहार शासक राज्यपाल को दण्डित करने हेतु भेजा।

• विद्याधर ने त्रिलोचनपाल को कन्नौज का शासक बनाया।

• आल्हा एवं ऊदल नामक योद्धा परमार्दिदेव के दरबार में रहते थे।

• कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1202 ई. में कालिंजर पर अधिकार कर लिया।

• चंदेल वंश का अंतिम शासक वीरवर्मन द्वितीय था।

• अंतिम रूप से 1309 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने चंदेल राज्य को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

• चंदेलों द्वारा निर्मित कंदरिया महादेव मंदिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसका निर्माण धंगदेव ने कराया था।

• चंदेल राजाओं ने ही सर्वप्रथम देवनागरी लिपि का प्रयोग अपने लेखों में करवाया था।

गुजरात के सोलंकी (चालुक्य) वंश

• गुजरात के चालुक्य अथवा सोलंकी वंश की स्थापना मूलराज प्रथम ने 942 ई. में की।

• चालुक्यों की राजधानी अन्हिलवाड़ा में थी।

• मूलराज प्रथम शैव धर्म को मानता था।

• महमूद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक भीम प्रथम था।

• भीम प्रथम ने आबू पर्वत को परमारों से छीना।

• भीम प्रथम इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था।

• भीम के सामंत विमल ने आबू पर्वत पर दिलवाड़ा का प्रसिद्ध मन्दिर बनवाया।

• अहमदाबाद की स्थापना कर्ण ने की थी।

• जयसिंह 1094 ई. में गद्दी पर बैठा।

• जयसिंह ने सिद्धराज की उपाधि धारण की थी।

• प्रसिद्ध जैन आचार्य हेमचन्द्र सूरी जयसिंह सिद्धराज के दरबार में रहते थे।

• सिद्धपुर के प्रसिद्ध रुद्रमहाकाल मन्दिर का निर्माण जयसिंह सिद्धराज ने कराया।

• हेमचन्द्र सूरी ने कुमारपाल चालुक्य शासक को जैन धर्म के प्रभाव में लाया।

• कुमारपाल ने जैन एवं ब्राह्मण धर्म के मन्दिरों का निर्माण कराया।

• सभी चालुक्य शासक शिव के उपासक थे।

• 1178 ई. में आबू पर्वत के निकट मोहम्मद गोरी को मूलराज द्वितीय ने हराया।

• गुजरात का अंतिम हिन्दू शासक कर्ण था। • कर्ण की रानी कमला देवी एवं बेटी देवल देवी को अलाउद्दीन खिलजी ने अपहृत करवाया था।

• वस्तुपाल एवं तेजपाल भीम द्वितीय के मंत्री थे।

• माउण्ट आबू पर विमल का जैन मन्दिर वस्तुपाल एवं तेजपाल ने बनवाया।

• जयसिंह सिद्धराज ने माउण्ट आबू पर्वत पर एक मण्डप का निर्माण कर अपने सातों पूर्वजों की गजारोही मूर्तियों की स्थापना की।

मोढ़ेरा का सूर्य मन्दिर चालुक्य (सोलंकी) राजाओं ने बनवाया था।

त्रिपुरी के कलचुरी वंश (चेदि वंश)

• कलचुरी वंश को अन्य नाम हैहय से भी जाना जाता है।

• कलचुरी राजाओं की प्रारम्भिक प्रशासकीय शक्ति का केन्द्र नर्मदा के किनारे महिष्मती में था, जिसकी राजधानी त्रिपुरी थी।

• कलचुरी के चेदि राजाओं को डाहल मण्डल के राजा के रूप में जाना जाता है।

• कलचुरी वंश का संस्थापक कोक्कल प्रथम (845 ई. में) था।

• कोक्कल प्रथम ने चंदेल तथा राष्ट्रकूट शासकीय वंशों में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया।

• राजशेखर कलचुरी नरेश युवराज के दरबार में रहा। राजशेखर ने काव्यमीमांसा की रचना की।

• राजशेखर ने ‘विद्धशाल भंजिका’ युवराज प्रथम के गुणगान में लिखा।

• कलचुरी वंश का शासक विजय सिंह था।

• चंदेल राजा त्रिलोक्य वर्मन ने कलचुरियों को पराजित कर डाहल मण्डल पर अधिकार कर लिया।

• कलचुरियों की दूसरी शाखा की राजधानी रत्नपुर थी।

• ‘त्रिकलिंगाधिपति’ की उपाधि कर्णदेव ने धारण की थी।

• गांगेयदेव ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।

• कलचुरी वंश का महानतम् शासक गांगेयदेव था। गांगेयदेव ने 1019 से 1041 ई. तक राज्य किया।

• कर्णदेव (1041-1070) शैव मतानुयायी था तथा उसने बनारस में कर्णमेरू नामक शैव मंदिर बनवाया था।

तोमर वंश

• तोमर वंश का संस्थापक अनंगपाल तोमर (736 ई. में) था।

• दिल्ली की स्थापना अनंगपाल तोमर ने की थी।

• तोमरों की राजधानी ढिल्लीका (दिल्ली) थी।

• राजा जौला तोमर वंश का सामन्ती सरदार था।

• तोमर वैष्णव धर्म के अनुयायी थे।

सिसोदिया वंश

• सिसोदिया वंश का शासन मेवाड़ पर था। इस वंश के राजपूत सूर्यवंशी कुल से अपना सम्बन्ध बताते थे।

• हम्मीर देव ने सिसोदिया वंश की स्थापना की।

• सिसोदिया वंश की (मेवाड़) राजधानी चित्तौड़ थी।

• राणा कुम्भा ने विजय स्तम्भ का निर्माण अपनी विजयों के उपलक्ष्य में कराया।

• विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ में स्थित है।

• राणा कुम्भा संगीत का सर्वाधिक शौकीन था।

• 1518 ई. में राणा सांगा एवं इब्राहिम लोदी के बीच खतौली में युद्ध हुआ था।

• 1527 ई. में राणा सांगा एवं बाबर के बीच खानवा में युद्ध हुआ।

• खतौली की लड़ाई का मुख्य कारण राणा सांगा द्वारा इब्राहिम लोदी का साथ न देना था।

• सिसोदिया वंश का सबसे प्रतापी शासक महाराणा प्रताप हुआ।

• 1576 ई. का प्रसिद्ध हल्दीघाटी युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था।

• महाराणा प्रताप का पराक्रमी सेनापति झाला सरदार था।

• महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था।

यह भी पढ़ें: प्रतिहार राजवंश

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट राजपूत वंश जरुर अच्छी लगी होगी। राजपूत वंश के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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