वन के मार्ग में : अध्याय 14
सवैया पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, धरि धीर दए मग में डग द्वै।झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै।।फिरि बूझति हैं, “चलनो …
सवैया पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, धरि धीर दए मग में डग द्वै।झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै।।फिरि बूझति हैं, “चलनो …
आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर चाकर करते। है। जिस ज़माने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते …
लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के …
मैं सबसे छोटी होऊँ,तेरी गोदी में सोऊँ,तेरा अंचल पकड़ पकड़करफिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,कभी न छोहूँ तेरा हाथ !बड़ा बनाकर पहले हमकोतू पीछे छलती है …
जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हूँ। लेकिन …
कभी-कभी मैं अपने मित्रों की परीक्षा लेती हूँ, यह परखने के लिए कि वह क्या देखते हैं। हाल ही में मेरी एक प्रिय मित्र जंगल …
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फ़िरंगी …
अब राजप्पा को कोई नहीं पूछता। आजकल सब के सब नागराजन को घेरे रहते। ‘नागराजन घमंडी हो गया है’, राजप्पा सारे लड़कों में कहता फिरता। …
पात्र-परिचय मोहन : एक विद्याधरदीनानाथ : एक पड़ोसीमाँ : मोहन की माँपिता : मोहन के पितामास्टर : मोहन के मास्टर जी।वैद्य जी, डॉक्टर तथा एक …
साथी हाथ बढ़ानाएक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।साथी हाथ बढ़ाना। हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ायासागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस …