औद्योगिक वित्त
भारतीय औद्योगिक वित्त ,कारखाना तथा महारत्न कम्पनियो के बारे में इस पोस्ट में बताया गया है ,तो आईये हम आपको विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।
• भारत में उद्योगों को तीन प्रकार के वित्त की व्यवस्था करनी पड़ती है – दीर्घकालिक वित्त की आवश्यकता – स्थायी परिसम्पत्तियों, जैसे-भूमि, भवन एवं मशीन आदि की खरीद हेतु।
• कच्चा माल एवं मध्यवर्ती वस्तुएँ खरीदने तथा दैनिक ब्याज की पूर्ति करने के लिए अल्पकालिक वित्त की आवश्यकता।
• दीर्घकालीन वित्त का ही एक भाग मध्यम अवधि के लिए हो सकता है।
• भारत में औद्योगिक वित्त के प्रमुख स्रोतों में शेयर और ऋणपत्र, जनता से प्राप्त जमाएँ, बैंकों से उधार आदि शामिल हैं।
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भारत में औद्योगिक वित्त प्रदान करने वाली संस्थाएँ
• भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI)- इसकी स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्णतः स्वाधिकृत सहायक संस्था के रूप में 1964 ई. में की गई। साथ ही साथ इसको 1976 ई. में भारत सरकार के स्वामित्व में कार्य करने वाला एक स्वायत्त निगम बना दिया गया।
• भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (IFCI)- यह देश का प्रथम विकास बैंक है, जो संसद के अधिनियम के द्वारा 1948 ई. में स्थापित किया गया। यह बैंक उद्योगों को मध्यम एवं दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराता है।
• भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (SIDBI)- सरकार ने वर्ष 1988-89 के बजट में इसकी स्थापना की घोषणा की तथा इस बैंक ने 1990 ई. से अपना कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। इसका मुख्यालय लखनऊ में है।
• भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI)- भारतीय संसद ने 1963 ई. में भारतीय यूनिट ट्रस्ट अधिनियम पारित किया और अधिनियम के अनुसार इसकी स्थापना 1964 ई. में एक वैधानिक इकाई के रूप में की गई।
ट्राई (TRAI)
• दूरसंचार सेक्टर में निजी सेवा प्रदाताओं का प्रवेश, अपने साथ स्वतंत्र विनिमयन की अनिवार्य आवश्यकता को लेकर आया।
• दूरसंचार सेवाओं के लिए प्रशुल्क का निर्धारिण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाएँ, जो कि पूर्व में केन्द्रीय सरकार में निहित थे, को विनियमित करने के लिए, संसद के अधिनियम द्वारा दिनांक 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (भादूविप्रा) की स्थापना हुई, जिसे भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम 1997 कहा जाता है।
• भदूविप्रा का मिशन है- देश में दूरसंचार सेवाओं के विकास के लिए ऐसी रीति से और ऐसी गति से परिस्थितियां सृजित और संपोषित करना, जो भारत को उभरते हुए वैश्विक सूचना समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए समर्थ बना सके।
• इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक है- उचित और पारदर्शी नीति एवं वातावरण प्रदान करना, जो सभी के लिए समान अवसरों को प्रोत्साहित करता है तथा समुचित प्रतिस्पर्धा को सुकर बनाता है।
• भादूविप्रा ने उसके सम्मुख आए मुद्दों पर उपयुक्त कार्यवाही करने के लिए, समय-समय पर बड़ी संख्या में विनियम, आदेश एवं निर्देश जारी किए गए हैं तथा भारतीय दूरसंचार बाजार के विकास के लिए सरकारी स्वामित्व एकाधिकार से बहु-प्रचालक, बहु-सेवा खुली प्रतिस्पर्धी बाजार हेतु अपेक्षित दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
• जारी निर्देश, आदेश तथा विनियम, प्राधिकरण के अभिशासन के साथ-ही-साथ प्रशुल्क, अंतःसंयोजन एवं सेवा की गुणवत्ता के मानक सहित विषयों की विस्तृत रेंज को कवर करते हैं।
• भादूविप्रा अधिनियम को दिनांक 24 जनवरी, 2000 से प्रभावी अध्यादेश से संशोधित किया गया, जिसमें भादूविप्रा से निर्णायक एवं विवाद कार्यों को लेने के लिए, दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय अधिकरण (टीडीसैट) की स्थापना की गई।
• टीडीसैट का गठन लाइसेंसदाता एवं लाइसेंसधारी, दो या अधिक सेवा प्रदाताओं, सेवा प्रदाता तथा उपभोक्ता समूहों के बीच विवादों पर निर्णय करने एवं भादूविप्रा के किसी निर्देश, निर्णय या आदेश के विरुद्ध अपील को सुनने एवं निस्तारण के लिए किया गया है।
भारत में उद्योगों की स्थापना
लघु एवं कुटीर उद्योग से सम्बन्धित संस्थाएँ:
संस्थान/संगठन | स्थापना वर्ष |
---|---|
कुटीर उद्योग बोर्ड | 1948 |
केन्द्रीय सिल्क बोर्ड | 1949 |
अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड | 1950 |
अखिल भारतीय खादी एवं अखिल भारतीय हस्तकला बोर्ड | 1953 |
ग्रामोद्योग बोर्ड | 1954 |
लघु उद्योग बोर्ड | 1954 |
लघु उद्योग विकास संगठन | 1954 |
खादी एवं ग्राम उद्योग आयोग | 1956 |
केन्द्रीय विक्रय संगठन | 1958 |
क्षेत्रीय ग्रामीण विकास बैंक | 1975 |
जिला उद्योग केन्द्र | 1978 |
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक | 1990 |
मुख्य निर्यातक केंद्र
केन्द्र | उद्योग |
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राजकोट | इंजन पम्प |
कांचीपुरम | रेशम |
सेलम | हस्त उपकरण |
शिवकाशी | माचिस |
अम्बाला | वैज्ञानिक उपकरण |
जामनगर | पार्ट्स, पेट्रो केमिकल्स |
मेरठ | खेल का सामान |
अलीगढ़ | पीतल के ताले |
आगरा | चमड़ा फुटवियर, पर्यटन |
खुर्जा | मिट्टी के बर्तन |
सूरत | रत्न और आभूषण |
वापी (अंकलेश्वर) | रसायन |
बरेली | जरी |
भागलपुर | बुनाई |
तिरुपुर | हौजरी एवं बुनाई उद्योग |
मुरादाबाद | ब्रासवेयर हैण्डीक्राफ्ट,धातुपत्र |
सहारनपुर | काष्ठ नक्काशी |
लुधियाना | भारी मशीनरी तथा हौजरी |
पणजी (गोवा) | रबर उद्योग |
पानीपत | हथकरघा |
भोपाल | कीटनाशक उद्योग |
अलेप्पी | नारियल के रेशे और इससे निर्मित सामान |
जालन्धर | खेल का सामान |
मोन (नगालैण्ड) | लकड़ी वस्तु |
नलबाड़ी (असम) | बांस पर आधारित वस्तु |
पिंजौर | मशीन औजार |
नागपुर | हस्त उपकरण |
विशाखापत्तनम् | मछली उत्पाद |
तेल शोधक कारखाने
कम्पनी का नाम | तेल शोधन स्थल |
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सार्वजनिक क्षेत्र | |
इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | बरौनी, कोयली, हल्दिया, मथुरा, डिग्बोई, गुवाहाटी, पानीपत, बोंगाईगाँव |
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | मुम्बई, विशाखापत्तनम् |
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | मुम्बई, कोच्चि |
चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | मनाली, नागापट्टनम |
नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड | नुमालीगढ़ |
मंगलौर रिफाइनरी एण्ड पेट्रो केमिकल्स लिमिटेड | मंगलौर |
ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड रिफाइनरी (ओएनजीसी) | आन्ध्र प्रदेश |
निजी क्षेत्र | |
रिलायन्स इण्ड्रस्टीज लिमिटेड | मोती खावड़ी, जामनगर |
रिलायन्स पेट्रोलियम लिमिटेड | एसईजेड, जामनगर |
एस्सार ऑयल लिमिटेड | जामनगर |
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात कारखाने
स्थान | तथ्य |
---|---|
राउरकेला (ओडिशा) | द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत जर्मनी की सहायता से स्थापित। उत्पादन शुरू: 1959 ई. |
भिलाई (मध्य प्रदेश) | द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत रूस की सहायता से स्थापित। उत्पादन शुरू: 1959 ई. |
दुर्गापुर (प. बंगाल) | द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत ब्रिटेन की सहायता से स्थापित। उत्पादन शुरू: 1962 ई. |
बोकारो (झारखंड) | एशिया का सबसे बड़ा संयन्त्र। द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत रूस की सहायता से स्थापित। उत्पादन आरम्भ: 1973 ई. |
बर्नपुर (प. बंगाल) | निजी क्षेत्र संयन्त्र के राष्ट्रीयकरण द्वारा अधिगृहीत, रूस की सहायता से स्थापित। |
विशाखापत्तनम् (आन्ध्र प्रदेश) | चौथी पंचवर्षीय योजना के अंन्तर्गत 2256 करोड़ रुपये की सरकारी लागत से रूस की सहायता से स्थापित। |
सलेम (तमिलनाडु) | चौथी पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत स्थापित। |
भद्रावती (कर्नाटक) | चौथी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत। |
विजयनगर (कर्नाटक) | चौथी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत स्थापित। |
सार्वजनिक क्षेत्र के औद्योगिक उपक्रम
नाम | स्थान |
---|---|
एण्टीबायोटिक संयन्त्र (आईडीपीएल) | ऋषिकेश (उत्तराखण्ड) |
भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड | नांगल (पंजाब), सिन्दरी (झारखंड), ट्राम्बे (महाराष्ट्र), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), नामरूप (असम), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) |
भारी जल संयन्त्र | नेवेली, नाहरकटिया, राउरकेला, ट्राम्बे |
भारत डायनामिक्स लिमिटेड | हैदराबाद (तेलंगाना) |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड | जलाहाली, गाजियाबाद |
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड | हरिद्वार, रामचन्द्रपुर, तिरुचिरापल्ली, भोपाल |
भारत हैवी प्लेट एवं वैसेल्स लिमिटेड | विशाखापत्तनम् (आन्ध्र प्रदेश) |
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स | चितरंजन (पश्चिम बंगाल) |
डीजल लोकोमोटिव वर्क्स | मरवाडीह, वाराणसी |
गार्डन रीच वर्कशॉप लिमिटेड | कोलकाता |
हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड | बंगलुरु |
हैवी इलेक्ट्रिकल्स (भारत) लिमिटेड | भोपाल |
भारी इन्जीनियरिंग निगम लिमिटेड | राँची |
भारी मशीन निर्माण संयन्त्र | राँची |
भारी वाहन कारखाना | अवाड़ी (तमिलनाडु) |
नाम | स्थान |
---|---|
हिन्दुस्तान एण्टीबायोटिक लिमिटेड | पिम्परी (महाराष्ट्र) |
हिन्दुस्तान कीटनाशक लिमिटेड | अवलाय (केरल) एवं दिल्ली |
हिन्दुस्तान केबल्स कारखाना | रूपनारायणपुर (पश्चिम बंगाल) |
हिन्दुस्तान फोटोफिल्म निर्माण कं. लि. | ऊटकमण्ड (तमिलनाडु) |
हिन्दुस्तान मशीन टूल निगम (HMT) | अजमेर (राजस्थान) |
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड | उदयपुर (राजस्थान) |
हिन्दुस्तान मशीन टूल्स | जलाहाली, बंगलुरु, पिंजौर, हैदराबाद, कलामसारी |
हिन्दुस्तान शिपयार्ड | विशाखापत्तनम् एवं कोच्चि |
हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड | अग्निगुडला, दारिबा, मलाजखण्ड, राखा |
भारतीय टेलीफोन उद्योग | बंगलुरु, नैनी, रायबरेली, मानकपुर, गोण्डा |
इन्स्ट्रमेन्टेशन लिमिटेड | कोटा, पालक्कड़ |
इण्टीग्रल कोच फैक्टरी | पेरम्बूर, कोटकपूरा |
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम | हैदराबाद |
भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड | कोरबा, रत्नागिरी |
भारत रसोई कोयला लिमिटेड | धनबाद |
भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड | कोलार |
कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड | कोलकाता |
नेवेली लिग्नाइट निगम | नेवेली (तमिलनाडु) |
जस्ता प्रगलक | जवार (राजस्थान) |
राष्ट्रीय अखबारी कागज कारखाना लि. | नेपानगर (मध्यप्रदेश) |
भारतीय तेलशोधक लिमिटेड | बरौनी, नूनमाटी |
भारतीय विस्फोटक कारखाना | गोमिया, हजारीबाग |
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रत्न का दर्जा
• केन्द्रीय लोक उद्यम विभाग द्वारा नवरत्न का दर्जा दिया जाता है।
• 1979 ई. में यह दर्जा मूलतः नौ कम्पनियों के लिए सृजित किया गया था परंतु बाद में यह संख्या बढ़ती गई।
• 21 दिसम्बर, 2009 को भारत सरकार ने महारत्न दर्जे के सृजन का निर्णय लिया।
• वित्त निगम को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है : महारत्न, नवरत्न तथा मिनीरत्न।
• सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वाणिज्य एवं प्रबन्धन की स्वायत्तता देने के लिए नवरत्न एवं मिनीरत्न की संकल्पना वर्ष 1997 ई. में शुरू की गई थी (नवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत)
• महारत्न कम्पनियों के मान्यता सरकार द्वारा वर्ष 2009 से प्रदान की गई।
• महारत्न का दर्जा प्राप्त कम्पनियाँ अपनी कुल निवल मूल्य के 15% तक का निवेश करने के लिए स्वतन्त्र हैं।
• महारात्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मापदण्ड निर्धारित किए गए हैं-
(i) नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिए।
(ii) भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए।
(iii) कम्पनी का औसत कारोबार, पिछले तीन वर्षों में 20,000 करोड़ रु. से अधिक होना चाहिए।
• कम्पनी का निवल मूल्य पिछले तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रु. से अधिक हो।
• पिछले तीन वर्षों में कम्पनी का वार्षिक शुद्ध लाभ 2500 करोड़ रु. से अधिक होना चाहिए तथा इस दौरान कम्पनी ने 5000 करोड़ रु. का लाभ अर्जित किया हो।
• कम्पनी की उपस्थिति विश्व स्तर पर होनी चाहिए।
• वर्तमान में वित्तीय स्वायत्तता देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को तीन भागों में बांटा गया है-
(i) महारत्न
(ii) नवरत्न
(iii) मिनीरत्न श्रेणी- तथा श्रेणी
• वर्तमान में 7 महारत्न, 17 नवरत्न तथा 72 मिनीरत्न हैं।
महारत्न कम्पनियाँ
महारत्न कम्पनियाँ | स्थापना | मुख्यालय |
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भारतीय तेल निगम (IOC) | 1959 | नई दिल्ली |
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) | 1956 | देहरादून |
कोल इण्डिया लिमिटेड (CIL) | 1975 | कोलकाता |
भारतीय इस्पात प्राधिकरण (SAIL) | 1973 | नई दिल्ली |
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) | 1975 | नई दिल्ली |
भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (GAIL) | 1984 | नई दिल्ली |
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) | 1962 | नई दिल्ली |
नवरत्न कम्पनियाँ
नवरत्न कम्पनियाँ | स्थापना | मुख्यालय |
---|---|---|
पॉवर फाइनेन्स कॉर्पोरेशन (PFC) | 1986 | नई दिल्ली |
भारतीय नौवहन निगम (SCI) | 1961 | मुंबई |
ऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL) | 1959 | दुलियाजन (असम) |
निवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (NLC) | 1956 | चेन्नई |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) | 1954 | बंगलुरु |
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) | 1976 | मुंबई |
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) | 1976 | मुंबई |
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) | 1986 | नई दिल्ली |
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) | 1940 | बंगलुरु |
पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (PGCIL) | 1989 | नई दिल्ली |
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) | 1958 | हैदराबाद |
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (RECL) | 1969 | नई दिल्ली |
नेशनल एल्यूमिनियम कम्पनी (NALCO) | 1981 | ओडिशा |
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) | 1971 | विशाखापट्टनम |
नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) | 1960 | नई दिल्ली |
कन्टेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (CONCOR) | 1988 | नई दिल्ली |
इन्जीनियर्स इण्डिया लिमिटेड (EIL) | 1965 | नई दिल्ली |
औद्योगिक प्रदेश और जिले
• प्रमुख औद्योगिक प्रदेश (8)-
- मुम्बई-पुणे प्रदेश – महाराष्ट्र प्रदेश
- हुगली प्रदेश – पश्चिम बंगाल प्रदेश
- बेंगलुरु-तमिलनाडु प्रदेश – कर्नाटक प्रदेश
- गुजरात प्रदेश – गुजरात प्रदेश
- छोटा नागपुर प्रदेश – झारखंड प्रदेश
- विशाखापट्टनम-गुंटूर प्रदेश – आंध्र प्रदेश (अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विभाजित है)
- गुड़गांव दिल्ली-मेरठ प्रदेश – हरियाणा प्रदेश
- कोल्लम-तिरुवनन्तपुरम प्रदेश – केरल प्रदेश
• गौण औद्योगिक प्रदेश (13)-
- अम्बाला- अमृतसर – हरियाणा और पंजाब
- सहारनपुर- मुजफ्फरनगर-बिजनौर – उत्तर प्रदेश
- इंदौर-देवास-उज्जैन – मध्य प्रदेश
- जयपुर-अजमेर – राजस्थान
- कोल्हापुर-दक्षिण कन्नड़ – महाराष्ट्र और कर्नाटक
- उत्तरी मालाबार – केरल
- मध्य मालाबार – केरल
- आदिलाबाद-निजामाबाद – तेलंगाना
- इलाहाबाद-वाराणसी-मिर्जापुर – उत्तर प्रदेश
- भोजपुर-मुंगेर – बिहार
- दुर्ग-रायपुर – छत्तीसगढ़
- बिलासपुर-कोरबा – छत्तीसगढ़
- ब्रह्मपुत्र घाटी – पूर्वोत्तर भारत के राज्य (असम, अरुणाचल प्रदेश, अगरतला आदि)
औद्योगिक जिले (15)-
जिले |
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कानपुर |
हैदराबाद |
आगरा |
नागपुर |
ग्वालियर |
भोपाल |
लखनऊ |
जलपाईगुड़ी |
कटक |
गोरखपुर |
अलीगढ़ |
कोटा |
पूर्णिया |
जबलपुर |
बरेली |
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निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट औद्योगिक वित्त जरुर अच्छी लगी होगी। औद्योगिक वित्त के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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