भारतीय बैंकिंग प्रणाली
भारतीय बैंकिंग प्रणाली , बैंकों का वर्गीकरण तथा नोट कैसे छपता है और कहा छपता है के बारे में इस पोस्ट में बताया गया है ,तो आईये हम आपको विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।
Table of Contents
• रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण : सरकार ने 1947 ई० में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देश की बैंकिंग प्रणाली को सुदृढ़ आर्थिक नीति को सफल बनाने के रिजर्व बैंक सार्वजनिक स्वामित्व हस्तान्तरण सन्नियम 1948 (Re- serve Bank Transfer to Public Owner- ship Act, 1948) ई० के अन्तर्गत रिजर्व बैंक को राष्ट्रीयकृत कर लिया।
• बैंकों का एकीकरण : सरकार ने 1950 ई० में बैंकिंग सन्नियम में जरूरत के मुताबिक जहाँ-तहाँ आवश्यक संशोधन करके इस एकीकरण की प्रवृत्ति को और भी अधिक बढ़ावा दिया है। 1950 ई० में बंगाल सेन्ट्रल बैंक, कोमिला बैंकिंग नियम, कोमिला यूनियन बैंक तथा हुगली बैंक को मिलाकर यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (United Bank of India) का निर्माण हुआ था। फिर 1951 ई० में भारत बैंक को पंजाब नेशानल बैंक (Punjab National Bank) में मिला दिया गया था। इसी तरह 1969 ई० में बैंक ऑफ बिहार (Bank of Bihar) को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिला दिया गया था। ये सभी बैंकों के एकीकरण के प्रमुख उदाहरण हैं।
• इंपीरियल बैंक राष्ट्रीयकरण एवं स्टेट बैंक की स्थापना : 1 जुलाई, 1955 ई० को इम्पीरियल बैंक को राष्ट्रीयकृत करके ‘स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया’ का निर्माण किया गया। इस बैंक की स्थापना सरकार के साझेदारी में की गयी।
• जमा बीमा निगम की स्थापना : भारतीय बैंकिंग प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के विचार से 1 जनवरी, 1962 ई० को भारत में बैंकों के लिए जमा निगम की स्थापना की गयी जिसकी अधिकृत एवं प्रदत्त पूँजी शुरू में 1 करोड़ रुपए थी जिसे बढ़ाकर अब 5 करोड़ रुपए कर दी गई है।
• 14 बड़े व्यापारिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण : सरकार द्वारा बैंकिंग कम्पनी (उपक्रम, अर्जन एवं हस्तान्तरण) अध्यादेश 1970 (Banking Companies Acquisition and Transfer of Undertaking Ordinance 1970) के अन्दर 19 जुलाई, 1969 को 14 बड़े बैंकों को राष्ट्रीयकृत करने की घोषणा की गयी। इस घोषणा के बाद 14 बैंकों को राष्ट्रीयकरण किया गया। इसके अन्दर वे बैंक जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रुपये अथवा इससे ज्यादा थी राष्ट्रीयकृत कर दिये गये।
बैंक का नाम | जमा धन (रु. में) |
---|---|
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया | 433 |
बैंक ऑफ इण्डिया | 395 |
पंजाब नेशनल बैंक | 356 |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 314 |
यूनाइटेड कमर्शियल बैंक | 241 |
केनरा बैंक | 146 |
यूनाईटेड बैंक ऑफ इण्डिया | 144 |
देना बैंक | 122 |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 115 |
इलाहाबाद बैंक | 113 |
सिण्डिकेट बैंक | 112 |
इण्डियन ओवरसीज बैंक | 93 |
इण्डियन बैंक | 85 |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 73 |
बैंक (Bank)
“बैंक साख तथा मुद्रा का लेन देन करने वाली वह व्यावसायिक संस्था है ,जो अपने ग्राहकों के जमा कहते में रुपया स्वीकार करती है और उसका भुगतान वह चेक , ड्राफ्ट आदि के द्वारा मांगे जाने पर करती है।”
बैंकों का वर्गीकरण : मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के बैंक पाये जाते हैं-
(i) व्यापारिक बैंक : ये बैंक थोड़े समय के लिए व्यापारियों को कर्ज देकर व्यापार तथा उद्योग को सहायता करते हैं। विभिन्न खातों में जमा स्वीकार करते हैं, कई तरह से ग्राहकों को कर्ज देते हैं और उनके एजेण्ट की हैसियत से भी काम करते हैं।
(ii) केन्द्रीय बैंक : प्रत्येक देश में एक ऐसा बैंक होता है, जो अन्य सारे बैंकों पर नियन्त्रण रखता है। यह देश की सरकार का वित्त-सम्बन्धी काम करता है।
(iii) विनिमय बैंक : ये बैंक सभी देशों की मुद्राओं को खरीदते-बेचते हैं। आयात और निर्यात करने वाले व्यापारियों को सुविधाएँ प्रदान कर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सहायता पहुँचाते हैं।
(iv) औद्योगिक बैंक : ये बैंक उद्योगपतियों को लम्बी अवधि के लिए कर्ज देते हैं। उनकी पूँजी व्यापारिक बैंकों के मुकाबले काफी अधिक होती है और ये दीर्घकाल के लिए जमा स्वीकार करते हैं।
(v) कृषि बैंक : इन बैंकों का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सहायता देकर कृषि-उद्योग को बढ़ाना है।
(vi) सेविंग्स बैंक : ये बैंक मध्यवर्ग के लोगों से जमा स्वीकार कर उनकी बचत की सुरक्षा प्रदान करते हैं और उनमें रुपया बचाने का आहत डालते हैं।
(vii) निजी बैंक : भारत में निजी क्षेत्र बैंक भी कार्यरत हैं जैसे – फेडरल बैंक लिमिटेड, कर्नाटक बैंक लिमिटेड, सांगली बैंक लिमिटेड आदि।
(viii) आयात-निर्यात बैंक : इसका प्रमुख कार्य आयातकों एवं निर्यातकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
(ix) राज्य वित्तीय निगम : इसका प्रमुख उद्देश्य छोटे, मध्यम तथा कुटीर उद्योगों की सहायता करना है।
(x) विदेशी बैंक : भारत में विदेशी बैंक कार्यरत हैं जैसे- बैंक ऑफ अमेरिका
व्यापारिक बैंक के कार्य
व्यापारिक बैंक के निम्नलिखित कार्य हैं:-
(A) जमा प्राप्त करना : वह निम्नलिखित खातों में जमा स्वीकार करता है; जैसे-
(1 ) चालू खाता : इस खाते में जमा करने वालों को अधिकार है कि बिना किसी पूर्वसूचना के वे जब कभी चाहें, स्वेच्छा से रकम की निकासी कर सकते हैं
(2 ) स्थायी खाता : इस खाते में एक निश्चित अवधि के लिए रकम जमा की जाती है। जितने समय के लिए रकम जमा की गयी है, उतना समय बीत जाने पर ही निकासी हो सकती है।
(3) बचत खाता : बचत खाता मुख्यतः निश्चित एवं कम आय वाले ग्रहस्थों की सुविधा के लिए तथा उनमें धनसंचय की प्रवृत्ति जाग्रत करने के लिए खोला जाता है।
(B) मुद्रा उधार देना : निम्नलिखित तरीकों से कर्ज दिया जाता है-
(i) योजना तथा अल्प सूचना कर्ज (ii) कर्ज एवं अग्रिम (iii) अधिविकर्ष (iv) नकद साख (v) बिलों एवं छुट्टियों को बट्टा करना
(C) एजेन्सी कार्य : बैंक एजेन्ट की हैसियत से मुख्यतः निम्न कार्यों को करना (1) विनिमय साध्य साख-पत्रों का भुगतान करना (2) ग्राहकों की ओर से रुपए भुगतान करना (3) भुगतानों को प्राप्त करना (4) प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय (5) रुपए का हस्तान्तरण (6) वकील की तरह काम करना।
(D) विधि कार्य : (1) असाख प्रमाण-पत्रों तथा यात्रियों के चेकों को जारी करता है। (2) विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय (3) निर्णय कर्ता के रूप में कार्य करना (4) सुरक्षा-सम्बन्धी कार्य (5) व्यापारिक सूचना तथा आँकड़ें इकट्ठा करना (6) सरकार तथा अन्य संख्याओं के ऋणों का अभिगोपन करना (7) धन-संबंधी सलाह देना।
(E) विविध साधन : (a) चालू खातों पर प्राप्त प्रासंगिक चार्ज (b) ग्राहकों के चेक, उनके प्रणपत्रों, चन्दे, किराये, आयकर तथा बीमा के प्रीमियम की वसूली और भुगतान करने के लिए मिला हुआ कमीशन (c) हिस्सा तथा प्रणपत्रों की दलाली और कमीशन (d) धरोहरी, साधक, सर्वसाहकार के जैसा काम करना (e) बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए प्राप्त कमीशन
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 ई० को हुई, लेकिन इसके पहले भी देश में केन्द्रीय बैंक की स्थापना के लिए अनेक प्रयास किये गये थे।
• सन् 1925-26 ई० में हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) ने सरकार को बताया कि भारत की आर्थिक स्थिति को सृदृढ़ बनाने के लिए एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना की जाए। उस समय की स्थिति इस प्रकार थी-
(i) इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया, जिसकी स्थापना सन् 1921 ई० में की गयी थी, पूर्ण रूप से केन्द्रीय बैंक का कार्य नहीं कर रहा था। नोट छापने का अधिकार सरकार को था और बैंकों के बैंक (Banker’s Bank) की हैसियत से इम्पीरियल बैंक ही कार्य करता था।
(ii) इम्पीरियल बैंक देश के अन्य बैंकों से प्रतियोगिता करता था। अतएव अन्य बैंकों को इस पर विश्वास नहीं रहने के कारण इसे केन्द्रीय बैंक बनाना उचित नहीं था।
(iii) इम्पीरियल बैंक के लिए सम्भव नहीं था कि वह केन्द्रीय बैंकों के कार्यों के साथ-साथ साधारण बैंकिंग के कार्य भी कर सके। इसका संचालन-मंडल यह मानने को तैयार नहीं था कि इम्पीरियल बैंक साधारण बैंकिंग-कार्य को छोड़ दे।
(iv) मुद्रा तथा साख पर सरकार एवं इम्पीरियल बैंक को दोहरा नियंत्रण दोष-पूर्ण था और इसके लिए केन्द्रीय बैंक का होना अत्यन्त आवश्यक था।
• ऐसी स्थिति में सरकार ने भी अनुभव किया कि एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना की जाए। सन् 1934 ई० में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट पास किया गया और इसके अनुसार । अप्रैल, 1935 ई० को रिजर्व बैंक ने अंशधारियों के बैंक के रूप में अपना कार्य शुरू किया।
रिजर्व बैंक के कार्य : रिजर्व बैंक के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है :
1. केन्द्रीय बैंकिंग-कार्य (Central Banking Functions)
2. साधारण बैंकिंग-कार्य (General Banking Functions)
केन्द्रीय बैंकिंग कार्य
(i) नोट जारी करना (Note Issue) : रिजर्व बैंक अपने निर्गम विभाग (Issue Department) द्वारा नोट जारी करने का एकाधिकार (Monopoly) प्राप्त है। नोट एक कानूनी मुद्रा है, जिसे कानूनी ग्राह्म (Legal Tender) के रूप में जारी किया जाता है। यद्यपि नोटों के भुगतान के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर के द्वारा प्रतिज्ञा की जाती है, फिर भी जनता का विश्वास कायम रखने के लिए यह व्यवस्था की जाती है कि स्वर्ण के आधार पर नोट जारी किये जाएँ।
(ii) सरकार का बैंक (Banker to Government): सरकारी बैंकर की हैसियत से रिजर्व बैंक निर्नलखित कार्य करता है-
(a) केन्द्रीय तथा राज्य-सरकारों का नकद जमा अपने पास रखता है; इस पर सूद नहीं दिया जाता।
(b) सरकार के लिए जनता के कर्ज (Public Debt) प्राप्त करने का प्रबन्ध करता है तथा उसका भुगतान भी करता है।
(c) सरकार को अल्पावधि के लिए कर्ज देता है। ऐसे कर्ज को ‘Ways and Means Advance’ कहा जाता है।
(d) सरकारी करों को वसूल करने तथा कोषों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का काम करता है।
(e) यह सरकार को आर्थिक तथा मौद्रिक समस्याओं पर सलाह देता है।
(iii) बैंकों का बैंक (Banker’s Bank) : जिस बैंक की परिदत्त पूँजी (Paid-up Capital) और संचित कोष (Reserve Fund) मिलकर 5 लाख उससे अधिक हो, उस बैंक को शेड्यूल्ड बैंक (Scheduled Bank) कहा जाता है। प्रत्येक शेड्यूल्ड बैंक को विधान के अनुसार अपनी माँग-जमा (Demand Deposit) का 5 प्रतिशत और समय-जमा (Term Deposit) का 2 प्रतिशत रिजर्व बैंक के पास जमा करना पड़ता है। रिजर्व बैंक इन प्रतिशतों में परिवर्तन कर सकता है। इन व्यापारिक बैंकों को रिजर्व बैंक निम्नलिखित तरीकों से सहायता देता है-
(a) आवश्यकता पड़ने पर आर्थिक सहायता देता है;
(b) उनके विनिमय बिल को पुनः बट्टा करता है;
(c) उनकी रकमों को एक जगह से दूसरी जगह भिजवाता है;
(d) उन्हें आर्थिक मामलों में सलाह देता है।
• उपर्युक्त सुविधाएँ देने के साथ-साथ रिजर्व बैंक ने व्यापारिक बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि प्रति सप्ताह उसके पास अपने लेन-देन का विस्तृत विवरण वे भेजा करें। इस आज्ञा का उल्लंघन करने वाले बैंक दण्ड के भागी होते हैं।
(iv) विनिमय दर में स्थिरता रखना (Maintenance of Exchange Stability): रिजर्व बैंक रुपयों की विनिमय दर (exchange rate) को स्थिर बनाये रखने का कार्य करता है। यह काम इसे सन् 1934 ई० के एक्ट के अनुसार दिया गया है।
(v) निकासगृहों की व्यवस्था (Management of Clearing Houses) : देश के कोने-कोने में फैली हुई बैंकिंग व्यवस्था को सुचारू रूप में चलाने के लिए यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 58 के अनुसार निकासगृहों की व्यवस्था करता है। कुछ विशेष स्थानों में रिजर्व बैंक इनकी देखभाल स्वयं करता है और बाकी जगहों में यह स्टेट बैंक द्वारा किया जाता है।
(vi) कृषि-वित्त की व्यवस्था (Management of Agricultural Finance) : रिजर्व बैंक ने इस कार्य के लिए एक अलग विभाग स्थापित किया है, जिसे कृषि-साख- विभाग (Agricultural Credit Department) कहते हैं। यह विभाग मुख्यतः निम्नलिखित कार्य करता है-
(a) कृषि के लिए वित्त की व्यवस्था करना,
(b) कृषि-सम्बन्धी अनुसंधान करना,
(c) केन्द्रीय तथा राज्य-सरकारों, सहकारी बैंकों को कृषि सम्बन्धी सुझाव देना।
(vii) अन्तिम ऋणदाता (Lender of the Last Resort) : रिजर्व बैंक अपने सदस्य बैंकों (Member Banks) को उस समय कर्ज देने को तैयार रहता है, जब उन्हें अन्य साधन से कर्ज नहीं प्राप्त हो सकता। इस सुविधा के कारण बहुत से बैंक बैंकिंग-संकट (Banking Crisis) टालने में समर्थ हो जाते हैं।
(viii) साख नियंत्रण (Credit Control) : रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंक की हैसियत से सदैव साख पर नियंत्रण रखता है।
बीमा क्षेत्र (Insurance sector)
• भारत की पहली जीवन बीमा कम्पनी ओरिएण्टल सोसायटी (1818) थी।
• भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की स्थापना 1 सितम्बर, 1956 को हुई थी, जिसका केन्द्रीय कार्यालय मुम्बई में स्थित है।
• भारतीय साधारण बीमा निगम (GIC) ने 1 जनवरी, 1973 से कार्य प्रारम्भ किया, जिसकी चार सहायक कम्पनियाँ हैं।
1. नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड |
2. ओरिएण्टल इन्श्योरोन्स कम्पनी लिमिटेड |
3. यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड |
4. न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड |
• सामाजिक सुरक्षा सामूहिक बीमा योजना के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष 1988-89 में स्थापित किया गया था।
• जनश्री बीमा योजना के नाम से एक नई सामूहिक बीमा योजना 10 अगस्त, 2000 को आरम्भ की गई।
• 1 अक्टूबर 2011 से इरडा के निर्देश पर स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबलिटी की व्यवस्था शुरू की गई।
• देश की पहली सामान्य बीमा कम्पनी ट्राइस इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड कोलकाता में 1850 ई. में स्थापित की गई थी।
● भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधि करण (IRDAI)
• भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) को 19 अप्रैल, 2000 में स्थापित किया गया।
• वर्तमान में सेबी तथा इरडा के मध्य विवाद को अध्यादेश द्वारा यूलिप को बीमा उत्पाद घोषित कर सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है। बीमा क्षेत्र का निजीकरण मल्होत्रा समिति की सिफारिश पर हुआ। इरडा का मुख्यालय हैदराबाद में हैं।
● प्रमुख वित्तीय संस्थान
संस्थान का नाम | स्थापना वर्ष | मुख्यालय | मुख्य उद्देश्य |
---|---|---|---|
भारतीय औद्योगिक वित्त निगम लिमिटेड (IFCI) | 1948 | नई दिल्ली | औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन साख को व्यवस्था करना |
राज्य वित्त निगम (SFC) | 1951 | राज्यों | राज्यों के छोटे एवं मध्यम उद्यमों का उन्नयन करना |
भारतीय औद्योगिक ऋण तथा निवेश निगम लिमिटेड (ICICI) | 1955 | मुम्बई | निजी क्षेत्रों के लघु तथा मध्यम उद्योगों का विकास |
जीवन बीमा निगम (LIC) | 1956 | मुम्बई | बीमा सुविधा उपलब्ध कराना |
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक लिमिटेड (IDBI) | 1964 | मुम्बई | औद्योगिक उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान करना |
भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI) | 1964 | मुम्बई | लघु एवं मध्यम उद्योगों में निवेश |
भारतीय आयात-निर्यात बैंक (EXIM Bank) | 1982 | मुम्बई | आयात-निर्यात की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना |
राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास (NABARD) | 1982 | मुम्बई | कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए वित्त उपलब्ध करना |
भारतीय औद्योगिक निवेश बैंक लिमिटेड (IIBIL) | 1985 | – | रुग्ण तथा बन्द पड़े उद्यमों का पुनर्निर्माण करना |
राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) | 1988 | नई दिल्ली | आवास सम्बन्धी वित्त की व्यवस्था करना |
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) | 1990 | लखनऊ | लघु उद्योगों को सुविधा उपलब्ध कराना |
● पेंशन फंड रेगुलेटरी एण्ड डेवेलोपमेन्ट ऑथरिटी (PFRDA)
• भारत सरकार द्वारा PFRDA का गठन 10 अक्टूबर, 2003 में किया गया।
• भारत के पेंशन सेक्टर का देखभाल इसी के द्वारा होता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कार्यक्रम
• आपदा प्रबंधन को मुख्य रूप से तीन बड़े भागों में विभाजित किया गया है-
(i) वृहत् स्तर पर नीतिगत दिशा-निर्देशों का निर्माण ताकि विभिन्न क्षेत्रों में विकास योजनाओं के सम्बन्ध में निर्देशों का निर्धारण एवं कार्यान्वयन तथा तत्सम्बन्धी सूचना का प्रसार किया जा सके,
(ii) एकीकृत आपदा प्रबंधन सम्बन्धी विकास योजनाओं एवं कार्यक्रमों के लिए परिचालनात्मक दिशा-निर्देशों का निर्माण तथा
(iii) आपदाओं से बचाव एवं उनमें कमी लाने हेतु विशेष विकास योजनाएँ
• भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केन्द्र का उन्नयन कर उसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के नाम से वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया है।
• भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards – BIS) द्वारा देश में भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की इमारतों के निर्माण हेतु एक संहिता जारी की गई है।
भारत में अनुसूचित बैंक
● अनुसूचित बैंक किसे कहते हैं ?
• अनुसूचित बैंक (सार्वजनिक क्षेत्र) : अनुसूचित बैंक वे बैंक हैं जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची के तहत सूचीबद्ध हैं। इन बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अनुसूचित बैंक माना जाता है। आइए भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित बैंकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विवरण पर गौर करें।
1. भारतीय स्टेट बैंक तथा इसके सहायक बैंक
2. स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
3. स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
4. स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
5. स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
6. स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर
एकीकृत बैंक किसे कहते हैं ?
• एक एकीकृत बैंक आम तौर पर एक वित्तीय संस्थान को संदर्भित करता है जो एक छत के नीचे बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। यह एकीकरण ग्राहकों को विभिन्न सेवाओं तक निर्बाध रूप से पहुंचने की अनुमति देता है, जिससे बैंकिंग अधिक सुविधाजनक और कुशल हो जाती है। एकीकृत बैंकिंग की अवधारणा प्रौद्योगिकी में प्रगति, नियामक ढांचे में बदलाव और ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों के साथ विकसित हुई है।
1. आंध्रा बैंक
2. इलाहाबाद बैंक
3. बैंक ऑफ बड़ौदा
4. बैंक ऑफ इंडिया
5. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
6. केनरा बैंक
7. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
8. कॉर्पोरेशन बैंक
9. देना बैंक
10. इंडियन ओवरसीज बैंक
11. इंडियन बैंक
12. ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
13. पंजाब नेशनल बैंक
14. पंजाब एंड सिंध बैंक
15. सिंडीकेट बैंक
16. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
17. यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
18. यूको बैंक
19. विजया बैंक
● अन्य अनुसूचित बैंक (सार्वजनिक क्षेत्र)
1. भारतीय महिला बैंक
2. IDBI बैंक
3. पोस्ट बैंक ऑफ इंडिया
● अनुसूचित बैंक (निजी क्षेत्र-पुरानी)
1. कैथोलिक सिरियन बैंक
2. सिटी यूनियन बैंक
3. धनलक्ष्मी बैंक
4. पी के सी बैंक
5. फेडरल बैंक
6. आई एन जी वैश्य बैंक (इसे अप्रैल 2015 में कोटक महिन्द्रा बैंक में मिला लिया गया।)
7. जम्मू और कश्मीर बैंक
8. कर्नाटका बैंक
9. करुर वैश्य बैंक
10. लक्ष्मी विलास बैंक
11. नैनिताल बैंक
12. रत्नाकर बैंक
13. साउथ इंडियन बैंक
14. तमिलनाडु मर्केनटाइल बैंक
● अनुसूचित बैंक (निजी क्षेत्र-नयी)
1. ऐक्सिस बैंक
2. यश बैंक
3. डेवेलपमेन्ट क्रेडिट बैंक
4. HDFC बैंक
5. ICICI बैंक
6. IndusInd बैंक
7. IDBI बैंक
8. कोटक महिन्द्रा बैंक
9. बंधन बैंक
10. IDFC बैंक
कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
• पूर्ण रूप से पहला भारतीय बैंक पंजाब नेशनल बैंक था। इसकी स्थापना सन् 1894 में हुई थी।
• प्रथम पूर्णतः भारतीय पूंजी से आरंभ बैंक – पंजाब नेशनल बैंक।
• भारत की सबसे पुरानी, बड़ी और सफल व्यावसायिक बैंक- भारतीय स्टेट बैंक ।
• प्रथम बैंक जो भारत के बाहर लंदन में अपनी शाखा (1946 ई०)- बैंक ऑफ इंडिया।
• प्रथम भारतीय व्यावसायिक बैंक जो पूर्णतः भारतीय स्वामित्व एवं प्रबंधन का था- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया।
• भारत का प्रथम आई.एस.ओ. प्रमाण-पत्र प्राप्त बैंक – केनरा बैंक।
• क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना वर्ष 1975 ई. में हुई।
• गोवा और सिक्किम में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक नहीं हैं।
• भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना 1985 ई. में हुई थी। इसका मुख्यालय कोलकाता में है।
• भारतीय सामान्य बीमा निगम की स्थापना 1972 ई. में हुई थी।
• देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई 1982 ई. में की गई थी।
• राष्ट्रीय आवास बैंक की स्थापना 1988 ई. में की गई थी।
• आयात-निर्यात बैंक (एक्जिम बैंक) की स्थापना जनवरी 1982 ई. में हुई थी।
• भारतीय पर्यटन वित्त निगम की स्थापना 1989 ई. में हुई थी।
• सहकारिता को सरकारी नियंत्रण से मुक्त • करने वाला देश का पहला राज्य आन्ध्र प्रदेश है।
• भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना 1988 ई. में की गई थी।
• निजी क्षेत्र के बैंकों में, 1994 ई. में यू.टी. आई. ने कार्य करना प्रारम्भ किया था। इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है। वर्ष 2007 में इसका नाम बदलकर ऐक्सिस बैंक किया गया।
• भारत सरकार की चार टकसालें-मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद तथा नोएडा में स्थित हैं।
• सिक्योरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद, बैंक नोट प्रेस, देवास (मध्य प्रदेश) तथा सिक्योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में स्थित है।
• कानपुर को उत्तर भारत का, अहमदाबाद को भारत का तथा कोयम्बटूर को दक्षिण भारत का मानचेस्टर कहा जाता है।
• कपास को सफेद सोना कहा जाता है। कपास उत्पादन के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
• भारत में डीजल इंजन बनाने का पहला कारखाना महाराष्ट्र के सतारा में, 1932 ई. में खुला था।
• हिन्दुस्तान ऐल्यूमिनियम कॉर्पोरेशन (HINDALCO) उत्तर प्रदेश के रेनुकूट में स्थित है।
• स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (SAIL) की स्थापना 1974 ई. में की गई तथा इसे इस्पात उद्योग के विकास की जिम्मेदारी दी गई। यह भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो एवं बर्नपुर स्थित एकीकृत इस्पात संयंत्रों के प्रबंध के लिए उत्तरदायी है।
यह भी पढ़ें: औद्योगिक वित्त
निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट भारतीय बैंकिंग प्रणाली जरुर अच्छी लगी होगी। भारतीय बैंकिंग प्रणाली के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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