बेरोजगारी | Unemployment |

बेरोजगारी

बेरोजगारी का आशय लोगों की उस स्थिति से है जिसमें वे प्रचलित मजदूरी दरों पर काम करने के इच्छुक तो होते हैं, परन्तु उन्हें काम नहीं प्राप्त होता है। विकसित देशों में बेरोजगारी का कारण प्रभावी माँगों में कमी का होना है, जबकि विकासशील देशों में बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि है।

भारत में बेरोजगारी

• भारत में शहरों की तुलना में गाँवों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तथा अशिक्षित लोगों की अपेक्षा शिक्षित लोगों में बेरोजगारी अधिक है।

• भारत में प्रमुख रूप से तीन तरह की बेरोजगारी (मौसमी बेरोजगारी, अदृश्य बेरोजगारी और अल्परोजगार) पाई जाती है।

बेरोजगारी के विभिन्न स्वरूप

1. संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment) : औद्योगिक जगत में उद्योगों में संकुचन एवं विस्तार जैसे संरचनात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी कहते हैं।

2. अदृश्य बेरोजगारी (Disguised Un- employment) : इस प्रकार की बेरोजगारी में उत्पादन कार्य में जरूरत से अधिक श्रमिक लगे होते हैं। फलतः उनकी सीमांत उत्पादकता शून्य होती है। सामान्यतः कृषि में ऐसे बेरोजगारी की अधिकता पायी जाती है।

3. खुली बेरोजगारी (Open Unemployment): बिना काम-काज के पड़े रहने वाले श्रमिकों को खुली बेरोजगारी में रखा जाता है। शिक्षित और साधारण बेरोजगार इसमें शामिल हैं।

4. घर्षणात्मक बेरोजगारी (Frictional Unemployment) : बाजार की दशाओं में परिवर्तन होने से उत्पन्न बेरोजगारी को घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते हैं।

5. मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemploy- ment) : किसी विशेष मौसम या अवधि में प्रतिवर्ष उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी को इसमें सम्मिलित किया जाता है।

6. स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment) : इस प्रकार की बेरोजगारी तब पाई जाती है, जब कार्यकारी जनसंख्या का एक अंश या तो रोजगार में दिलचस्पी ही नहीं रखता या प्रचलित मजदूरी दरों से अधिक दर पर काम करने के लिए तैयार होता है।

7. अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary Unemployment) : जब लोग मजदूरी की प्रचलित दरों पर भी काम करने को तैयार हों और उन्हें काम नहीं मिले तो उसे अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं।

8. अल्प रोजगार (Under employment): यह ऐसी स्थिति है जिसमें श्रमिकों को काम तो मिलता है, परन्तु वह उसकी आवश्यकता और क्षमता से कम होता है।

भारत में बेरोजगारी के कारण

भारत में बेरोजगारी के निम्न प्रमुख कारण हैं- (i) मंद विकास गति (ii) उच्च जनसंख्या वृद्धि दर (iii) श्रम प्रधान तकनीक की तुलना में पूंजी प्रधान तकनीक को बढ़ावा (iv) प्राकृतिक संसाधनों का असमान वितरण (v) लघु एवं कुटीर उद्योगों का अपर्याप्त विकास (vi) व्यावसायिक शिक्षा को कम महत्व दिया जाना।

निर्धनता या गरीबी

निर्धनता या गरीबी को आमतौर पर न्यूनतम स्तर वाली आय में रहने वालों और कम उपभोग करने वालों के अर्थ में परिभाषित किया जाता है। व्यक्तियों या परिवारों द्वारा जो स्वास्थ्य, सक्रिय और सभ्य जीवन के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को वहन नहीं कर पाते, को निर्धनता या गरीब कहा जाता है।

निर्धनता मापन की विभिन्न समितियाँ

• तत्कालीन योजना आयोग ने सितम्बर, 1989 में प्रो. डी टी लकड़ावाला की अध्यक्षता में एक विशेष समूह की नियुक्ति की, जिसने प्रति व्यक्ति कैलोरी उपभोग को आधार बनाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति उपभोग को आधार माना।

• भारत में सर्वप्रथम गरीबी का अध्ययन श्री बी एस मिन्हास ने किया और उन्होंने 1956-57 तथा 1967-68 के बीच ग्रामों के निर्धनों के प्रतिशत में कमी होने के संकेत दिए।

• लॉरेज वक्र द्वारा किसी देश के लोगों के बीच आय विषमता को मापा जाता है।

• गिनी गुणांक को इटैलियन कोरेडो गिनी ने विकसित किया था। यह लॉरेज वक्र तथा निरपेक्ष समता रेखा के बीच का क्षेत्रफल और काल्पनिक समता रेखा के बीच नीचे के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के अनुपात को प्रदर्शित करता है, जिसका मान 0 से 1 के बीच होता है।

लकड़ावाला समिति

• इस समिति ने अपने फॉर्मूले में शहरी निर्धनता के आकलन के लिए औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को आधार बनाया।

सुरेन्द्र तेन्दुलकर समिति

• प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश तेन्दुलकर की रिपोर्ट गरीबी का आँकड़ा 37.2% बताती है। देश में निर्धनता अनुपात का आकलन योजना आयोग द्वारा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के माध्यम से किया जाता था। इसके अनुसार 2012 में गरीबी रेखा के नीचे 22% लोग थे।

• निर्धनों की निरपेक्ष संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश का स्थान जहाँ सबसे ऊपर है, वहीं निर्धनता अनुपात के मामले में (कुल जनसंख्या में निर्धन जनसंख्या का प्रतिशत) ओडिशा (46.8%) का स्थान सर्वोच्च है।

• भारत में राज्यों में न्यूनतम निर्धनतादर जम्मू-कश्मीर में है, जबकि सम्पूर्ण भारत में सबसे कम निर्धनता अण्डमान निकोबार (0. 4%) में है।

रंगराजन समिति

योजना आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक शपथ-पत्र के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 28.65 रुपए प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन उपभोग व्यय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 22.42 रुपए प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय की निर्धनता रेखा निरूपित की गई। इसकी तीखी आलोचनाओं के बीच योजना आयोग ने डॉ. सी. रंगराजन के अध्यक्षता में एक नवीन विशेषज्ञ टेक्नीकल समूह का गठन 24 मई, 2012 को किया है।

• रंगराजन समति के अनुसार शहरों में प्रतिदिन 47 रुपए तक खर्च कर सकने वाले व्यक्ति को ही गरीब की श्रेणी में रखा जाए, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह सीमा 32 रुपए है। औसत माहवार खर्च के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 972 रुपए प्रतिमाह से कम तथा शहरों में 1407 रुपए से कम प्रतिमाह कमाने वालों को गरीब माना जाएगा।

गरीबी रेखा (Poverty Line)

गरीबी रेखा आय या उपभोग व्यय का स्तर है जो अपने सभी नागरिकों के लिए समाज में रहने का न्यूनतम स्तर दिखाने के लिए वांछनीय माना जाता है। यह न्यूनतम स्तर निरपेक्ष या सापेक्ष संदभों में परिभाषित किया जा सकता है। निरपेक्ष गरीबी रेखा प्रायः आय के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक औसत प्रति व्यक्ति के लिए न्यूनतम ऊर्जा या कैलोरी की आवश्यकता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में एक व्यक्ति के प्रतिदिन के भोजन में 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र में एक व्यक्ति के प्रतिदिन भोजन में 2100 कैलोरी न प्राप्त करने वालों को गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।

मानव विकास : वर्ष 2014 के मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार 2013 के लिए भारत का HDI महत्व 0.586 है जो इसे 187 देशों और क्षेत्रों में से 135वाँ स्थान आता है जो ब्रिक्स (BRICS) देशों में सबसे निम्नतम है।

• भारत का महिला विकास सूचकांक (GDI) महत्व 0.828 है तथा 148 राष्ट्रों में इसका स्थान 132वाँ है।

गरीबी अंतराल (Poverty Gap-PG)

गरीबी अंतराल संकेतक (Poverty Gap Indicator) विश्व बैंक विकास अनुसंधान समूह द्वारा निर्मित किया गया है। यह लोगों की प्रति व्यक्ति आय/उपभोग की सूचनाओं का उपयोग करते हुए गरीबी की माप की जाती है। गरीबी का मापन व्यक्तियों द्वारा 1.25 डॉलर प्रतिदिन से नीचे या ऊपर रहने पर आधारित होती है।

प्रतिदिन 1.25 डॉलर की गरीबी रेखा : इसके आधार पर विश्व बैंक द्वारा अति गहन निर्धनता को परिभाषित किया जाता है। इसके आधार पर प्रतिदिन जिनकी आय 1.25 डॉलर से कम होती है उन्हें गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।

सापेक्ष निर्धनता : सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न वर्गों, प्रदेशों तथा देशों की तुलना में पाई जाने वाली निर्धनता से है।

निरपेक्ष निर्धनता : निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है। भारत में निरपेक्ष निर्धनता का अनुमान लगाने के लिए ‘निर्धनता रेखा’ की धारणा का प्रयोग किया गया है।

निर्धनता रेखा वह रेखा है जो उस प्रति व्यक्ति औसत मासिक व्यय को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं।

निर्धनता के कारण : • राष्ट्रीय उत्पाद का निम्न स्तर • विकास की कम दर • कीमतों में वृद्धि जनसंख्या का दबाव • बेरोजगारी • पूंजी की कमी कुशल श्रम एवं तकनीकी ज्ञान की कमी उचित औद्योगिकरण का अभाव • सामाजिक संस्थाएँ।

राज्य योजनाएँ

कार्यक्रमराज्यवर्षमुख्य उद्देश्य
अम्मा सीमेंट योजनातमिलनाडु5 जनवरी, 2015निजी कम्पनियों से सीमेंट खरीदना और लोगों को बेचना
हिमालय दर्शन योजनाउत्तराखण्ड7 फरवरी, 2015पर्यटन को बढ़ावा देना
आपकी बेटी, हमारी बेटी योजनाहरियाणा8 मार्च, 2015बाल लिंगानुपात में गिरावट से निपटना
माझी कन्या भाग्यश्री योजनामहाराष्ट्र8 मार्च, 2015गरीबी रेखा परिवार में पैदा हुई लड़की के लिए धनराशि
राजीव आरोग्य योजनाकर्नाटक20 जनवरी, 2015गरीबी रेखा के ऊपर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं
तेजस्विनी योजनाझारखण्डबजट 2015-16युवतियों के स्वावलम्बन हेतु
इंदिरा प्रियदर्शिनी कामकाजी महिला योजनाउत्तराखण्डबजट 2015-16महिलाओं को स्वव्यवसाय से जोड़ने के लिए
मुख्यमंत्री राज्य स्वस्थ्य देखभाल योजनाहिमालच प्रदेशबजट 2015-16बुजुर्गों की स्वास्थ्य की देखभाल
ई-ममता योजनाझारखण्डबजट 2015-16गर्भवती महिलाओं के लिए
सुबोधन परियोजनाकेरल19 अप्रैल, 2015शराब की लत से मुक्ति प्रदान करना
आहार योजनाओडिशा1 अप्रैल, 2015शहरी गरीबों को रिसायती दर पर भोजन
पे एंड प्ले योजनादिल्ली2015राष्ट्रीय राजधानी में आयु वर्ग के बीच खेल को बढ़ावा
समाजवादी जल एटीएम सेवाउत्तर प्रदेश12 मई 2015बस यात्रियों को उचित मूल्य पर पीने योग्य जल प्रदान कराना

यह भी पढ़ें: भारतीय बैंकिंग प्रणाली

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट बेरोजगारी जरुर अच्छी लगी होगी। बेरोजगारी के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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