उद्योग | Industry |

उद्योग


• वर्ष 1854 ई. में सी. एन. ढेबर द्वारा मुम्बई में स्थापित की गई कारखाना (मिल) के द्वारा भारत में आधुनिक उद्योगों का शुभारम्भ माना जाता है।

• 1870 ई. में बंगाल आयरन वर्क्स कंपनी (कुलटी) की स्थापना से भारत में लौह-इस्पात उद्योग का प्रारम्भ हुआ।

• वर्ष 1907 ई. में टिस्को (TISCO) की स्थापना जमशेदपुर (झारखंड) में हुई।

• भारत का प्रथम ऐल्यूमिना संयंत्र 1937 ई. में जे. के. नगर (पश्चिम बंगाल) में स्थापित किया गया।

• देश आजाद होने के बाद भारत में औद्योगिक नीति सम्बन्धी प्रस्ताव 1948 ई. में पारित किया गया।

औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Sector)

औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Sector): उद्योगीकरण तथा औद्योगिक विकास को आर्थिक विकास का सूचक माना जाता है। औद्योगिक विकास निम्नांकित रूपों में आर्थिक विकास में सहायक है। (i) कृषि उत्पादों की अपेक्षा इसमें मूल्यवर्धन अधिक होता है। (ii) अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन में सहायक होता है (iii) निर्यात संवर्धन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है (iv) कृषि क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण आगत जैसे उर्वरक, मशीन, सयंत्र की व्यवस्था आदि की व्यवस्था करता है।

• उद्योगीकरण से आशय राष्ट्रीय उत्पादन में तथा निवेश के ढाँचे में उद्योगों की बहुलता से है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद तथा श्रम शक्ति के प्रयोग में औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा बढ़ जाए। उद्योगीकरण एक क्रमिक प्रक्रिया है जिसमें धीरे-धीरे सामान्यतया राष्ट्रीय घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का अंश कम होता जाता है तथा औद्योगिक क्षेत्र का योगदान बढ़ता जाता है।

आधारभूत उद्योग : आधारभूत उद्योगों से आशय ऐसे उद्योगों से है जो अन्य उद्योगों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसमें विद्युत उद्योग, कोयला उद्योग, लोहा एवं इस्पात उद्योग, मशीनरी उद्योग, रिफाईनरी उद्योग, सीमेंट उद्योग शामिल किए जाते हैं।

अद्यः संरचनात्मक उद्योग : अद्यः संरचनात्मक उद्योग से आशय ऐसे बुनियादी उद्योगों से है जो औद्योगिक विकास में तेजी लाने का कार्य करते हैं। यह बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराता है जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है। इसमें रेलवे, सड़क, पत्तन, नागर विमानन, दूरसंचार, जीवन बीमा, बैंक एवं वित्तीय संस्थाएँ आदि आते हैं।

• सूक्ष्म एवं लघु उद्योग : सूक्ष्म क्षेत्र उद्योग विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी भी उद्योग से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन में लगा ऐसा उद्यम, चाहे वह प्रोपराइटरशिप, हिंदू अविभाजित परिवार, व्यक्तियों का समूह, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पार्टनरशिप अथवा उपक्रम अथवा किसी भी नाम से जाना जाने वाला किसी अन्य विधिक स्वरूप का कोई उपक्रम हो तथा उत्पादन एवं सेवा प्रदान करने में लगा अन्य उपक्रम बशर्ते क्रमशः संयंत्र एवं मशीनरी तथा उपस्कर में निवेश के सीमित रूप हों।

• विनिर्माण क्षेत्र के लिए उपक्रम को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :

उद्योगों का वर्गीकरण

वर्गीकरणविनिर्माण उद्यम सेवा उद्यम
सूक्ष्म उद्यम25 लाख रुपए तक10 लाख रुपए तक
लघु उद्यम25 लाख रुपए से अधिक और 5 करोड़ रुपए तक10 लाख रुपए से अधिक और 2 करोड़ रुपए तक
मध्यम उद्यम5 करोड़ रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए तक2 करोड़ रुपए से अधिक और 5 करोड़ रुपए तक

मेक इन इंडिया कार्यक्रम

• मेक इन इंडिया कार्यक्रम : भारत को विश्व के लिए ‘मैन्यूफैक्चरिंग हब’ बनाकर औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितम्बर, 2014 में की है।

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

• 1947 ई. में भारतीय उद्योगों के उत्पादों के लिए मानक तैयार करने हेतु स्थापित किया गया। यह एक अर्द्ध-सरकारी संस्था है। यह विभिन्न उत्पादों पर गुणवत्ता चिह्न अर्थात् आई एस आई (ISI) चिह्न आवंटित करती है।

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् (NPL)

• उद्योगों की उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देश्य से NPL की इसकी स्थापना 1858 ई. में की गई थी। यह एक स्वायत्त निकाय है। उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक उत्पादकता के एन पी सी पुरस्कार दिए जाते हैं।

औद्योगिक नीति तथा औद्योगिक वृद्धि

औद्योगिक नीति किसी देश के औद्योगिक विकास की कार्य योजना प्रस्तुत करती है वहीं दूसरी ओर यह स्पष्ट करती है कि इस कार्य योजना की रणनीति क्या होगी साथ ही औद्योगिक विकास में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की क्या भूमिका होगी।

औद्योगिक नीति 1948 : स्वतंत्र भारत की प्रथम औद्योगिक नीति का घोषणा 6 अप्रैल, 1948 को तात्कालिक केन्द्रीय उद्योग मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई थी:

(i) इस नीति में मिश्रित अर्थव्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया गया।

(ii) बड़े उद्योगों का वर्गीकरण चार वर्गों में किया गया।

(iii) औद्योगिक तकनीक एवं ज्ञान प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी आमंत्रित करने की बात की गई।

(iv) यह औद्योगिक नीति हैरॉड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।

(v) इसमें सरकारी क्षेत्र और निजी क्षेत्र को साथ मिलकर काम करने की बात की गई।

औद्योगिक नीति 1956 : 30 अप्रैल 1956 को समाजवादी ढंग से समाज की स्थापना के उद्देश्य को केन्द्र में रखकर भारत की द्वितीय औद्योगिक नीति घोषित हुई। यह नीति विकास के नेहरू-महालनोबिस मॉडल पर आधारित था इसे भारत का आर्थिक संविधान या औद्योगिक नीति का मैग्नाकार्टा कहा जाता है। (i) इसमें उद्योगों को तीन वर्गों में बाँटा गया। (ii) इस नीति में Big Push-High growth की रणनीति को अपनाया गया।

औद्योगिक नीति 1977 : केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद (उद्योगमंत्री जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा) प्रथम गैर कांग्रेसी सरकार द्वारा लाई गई नीति। (ⅰ) सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका के संबंध में 1956 की नीति पर ही बल जबकि लघु क्षेत्रों का तीन वर्गों में विभाजन। (ii) जुलाई 1980 में कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित नीति में सार्वजनिक उद्योगों के कुशलतम प्रबंधन पर बल दिया गया।

• नई औद्योगिक नीति 1991 : 1990-91 का आर्थिक संकट भारत को IMF एवं विश्व बैंक के सप्रतिबंधित ऋण समझौता की ओर ले जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत को अपने पूर्व के 50 वर्षों के नीतियों का त्याग करके वैश्वीकरण निजीकरण एवं उदारीकरण जैसे सुधार कार्यक्रमों को अपनाना पड़ा।

• तत्कालीन वित्तमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को नई औद्योगिक नीति की घोषणा की जो कि निम्नलिखित क्षेत्रों में व्यापक एवं आधारभूत परिवर्तन लाती है- (1) औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली (2) सार्वजनिक क्षेत्र संबंधी नीति (3) MRTP अधि नियम (4) विदेशी प्रौद्योगिकी एवं विदेशी- विनियोग नीति में परिवर्तन।

औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली : उद्योगों के संतुलित क्षेत्रीय विकास। बड़े व्यवसायिक घरानों के वृद्धि पर रोक, नए उद्योगों को संरक्षण आदि के लिए उद्योग विकास अधिनियम 1951 में प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार से लाइसेंस लिए बिना किसी भी नई औद्योगिक इकाई की स्थापना नहीं की जा सकती लेकिन बाद में यह प्रणाली आर्थिक विकास में बाधा मानी जाने लगी जिसके कारण से इसे हटा दिया गया। 18 उद्योगों को छोड़कर बाकी लाइसेंस मुक्त हो गए।

• भारत सरकार से वर्तमान में निम्न पाँच उद्योगों के लिए ही औद्योगिक लाइसेंस लेना अनिवार्य है-

(1) अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों का आसवन एवं निर्माण
(2) तम्बाकू के सिगार और सिगरेट और तम्बाकू से बनी अन्य वस्तुएँ।
(3) इलेक्ट्रॉनिक एयरोस्पेस तथा रक्षा साज समान।
(4) औद्योगिक विस्फोट तथा
(5) जोखिम वाले रसायन।

• नई औद्योगिक नीति 1991 के अन्तर्गत 1956 के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित उद्योगों की संख्या 17 से घटाकर 8 कर दी गई। वर्तमान समय में आरक्षित उद्योगों की संख्या घटकर तीन रह गई है।

(i) परमाणु ऊर्जा
(ii) भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग की 15 मार्च 1995 को जारी अधिसूचना संख्या एस ओ 212 (e) के परिशिष्ट में दर्शाए गए पदार्थ
(iii) रेल परिवहन।

विभिन्न औद्योगिक सुधार

MRTP अधिनियम, 1969 – एकाधिकार तथा प्रतिबंधात्मक व्यापारिक व्यवहार अधिनियम (MRTP Act), 1969 का उद्देश्य आर्थिक शक्ति के केन्द्रीकरण को रोकना तथा एकाधिकार पर नियंत्रण रखना था। इसके अलावा इसका अन्य उद्देश्य प्रतिबन्धात्मक एवं अनुचित व्यापार की रोकथाम करना था।

• श्रम संघ (संशोधन) विधेयक – 2001 रामानुजम समिति की सिफारिश पर लाया गया। विधेयक का उद्देश्य 1926 के श्रम संघ अधिनियम में संशोधन करना था, जिसमें निम्नलिखित प्रावधान था – श्रम संघों की बहुलता को नियंत्रित करना, औद्योगिक प्रजातंत्र को बढ़ावा देना, श्रम संघों के सुव्यवस्थित विस्तार को बढ़ावा देना।

• नए श्रम संघ (संशोधन) विधेयक में किसी प्रतिष्ठान में श्रम संघ के गठन के लिए कम-से-कम 10 प्रतिशत अथवा 100 कर्मचारियों की सदस्यता (इनमें जो कम हो) को अनिवार्य कर दिया गया है।

• विधेयक के अनुसार श्रम संघ का वार्षिक सदस्यता शुल्क कम-से-कम 12 रुपये प्रतिवर्ष होना आवश्यक है।

प्रतिस्पर्धा विधेयक-2002 – अर्थव्यवस्था में देशी-विदेशी कंपनियों एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने तथा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ‘MRTPC’ के स्थान पर ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ के गठन के संदर्भ में विधेयक।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

• इसकी स्थापना वर्ष 2009 में की गई

• इसने एकाधिकारी एवं प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार आयोग का स्थान लिया है।

• इसका उद्देश्य एकाधिकारी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाकर प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना है।

• यह कम्पनियों के विलय एवं अधिग्रहणों पर निगरानी रखता है।

औद्योगिक रुग्णता

• औद्योगिक कम्पनी अधिनियम, 1985 के अनुसार उस कम्पनी को अस्वस्थ माना जाएगा, जिसमें निम्न तीन विशेषताएँ हों।

• उसे पंजीकृत हुए कम-से-कम सात वर्ष हो चुके हों।

• उसे चालू वित्तीय वर्ष और उससे पहले वाले वित्तीय वर्ष में नकद हानि हुई हो।

• उसकी निवल पूँजी (Net Worth) खत्म हो चुकी हो।

• औद्योगिक रुग्णता की समस्या पर विचार करने के लिए वर्ष 1981 ई. में तिवारी समिति की स्थापना की गई थी, जिसके आधार पर वर्ष 1985 ई. में रुग्ण कम्पनी अधिनियम पारित किया गया।

• औद्योगिक रुग्णता से संबंधित वर्ष 1993 ई. में गोस्वामी समिति तथा वर्ष 2000 ई. में बालकृष्ण इराड़ी समिति गठित की गई।

• वर्ष 1987 ई. में औद्योगिक रुग्णता के समाधान के लिए औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड की स्थापना की गई।

• कम्पनी विधेयक वर्ष 2011 के अनुसार कम्पनियों की लगातार 3 वर्ष के अपने औसत लाभ का न्यूनतम 2% सामाजिक दायित्वों के लिए व्यय करना होगा।

औद्योगिक श्रम

• भारत में औद्योगिक श्रमिक उन्हें माना जाता है जिन पर फैक्टरी अधिनियम लागू होता है एवं जो व्यवस्थित कारखानों में कार्य करते हैं।

• भारतीय उद्योगों में कार्यरत् श्रमिक मूलतः ग्रामीण हैं जो रोजगार की तलाश में शहरों में स्थायी या अस्थायी रूप में बस जाते हैं।

• 1920 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियम कांग्रेस (AITUC) की स्थापना हुई जो श्रमिकों के राजनीतिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए वचनबद्ध थी।

• 1929 में एम. एम. जोशी के नेतृत्व में साम्यवादियों के प्रभुत्व वाली ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन (AITUF) का जन्म हुआ।

• 1933 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन एवं नेशनल फेडरेशन ऑफ लेबर ने मिलकर नये संगठन नेशनल ट्रेड यूनियन फेडरेशन की नींव डाली।

• 1946 में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना हुई।

• 1948 में हिंदू मजदूर सभा का गठन हुआ।

• 1949 में वामपंथियों ने यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की।

• वर्तमान में श्रम मंत्रालय के अनुसार निम्नलिखित सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन ऑर्गेनाइजेशन (संगठन) (CTUO) हैं-

(1) इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

(2) भारतीय मजदूर संघ (राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ)

(3) सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (CITU) (CPI- मार्क्सवादी)

(4) ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) (CPI)

(5) यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) (रिव्यूलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी)

(6) भारतीय जनता मजदूर मंच (BJMM)

(7) हिंद मजदूर सभा (HMS) (सोशलिस्ट)

(8) राष्ट्रीय श्रमिक संघ (NLO) अथवा SEWA (Self Employed womens Association of India)

(9) मजदूर संघ सहयोग केन्द्र (TUCC) (ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक)

(10) नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी)

(11) ऑल इंडिया सेन्ट्रल काउसिंल ऑफ ट्रेड यूनियन (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी लेनिनवादी)

(12) ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया) (कम्यूनिस्ट)

(13) न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव

(14) लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम)

यह भी पढ़ें: भारतीय कृषि

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट उद्योग जरुर अच्छी लगी होगी। उद्योग के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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